________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 5 :: उ०६] ( 149 जाव भंडे से उधणीए सिया ? कतियस्स णं भंते ! तायो भंडायो कि श्रारंभिषा किरिया कति जाव मिच्छादंसणकिरिया कजति ?, गाहावइस्स वा तायो भंडायो किं प्रारंभिया किरिया कजति जाव मिच्छादसणकिरिया कन्जति ?, गोयमा ! कइयस्स तायो भंडायो हेट्ठिलायो चत्तारि किरियाया कज्जंति मिच्छादसणकिरिया भयणाए गाहावतिस्स णं तायो सव्वायो पयणुईभवंति 4 / गाहावतिस्स णं भंते ! भंडं जाव धणे य से अणुवणीए सिया ? एवंपि जहा भंड उवणीए तहा नेयव्वं, चउत्थो बालावगो, धणे से उवणीए सिया जहा पढमो यालावगो भंडे य से अणुवणीए सिया तहा नेयव्यो, पढमचउत्थाणं एको गमो बितियतइयाणं एको गमो 5 / अगणिकाए णं भंते ! अहुणो(अहणु)जलिते समाणे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेदणतराए चे भवति, अहे णं समए 2 वोकसिन्जमाणे 2 वोच्छिजमाणे 2 चरिमकालसमयंसि इंगालभूए मुम्मुरभूते छारियभूए तयो पच्छा अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव अप्पवेदणतराए चेव भवति ?, हंता गोयमा ! अगणिकारणं अणु(अहुणो)जलिए समाणे तं चेव 6 // सूत्रं 205 // पुरिसे णं भंते ! धणु परामुमइ धणु परामुसित्ता उसु परामुसइ 2 ठाणं ठाइ ठाणं ठिचा पायतकराणाययं उसु करेंति प्राययकन्नाययं उसु करेत्ता उट्ठ वेहासं उसु उब्विहइ 2 ततो णं से उसु उड्ड वेहासं उविहिए समाणे जाई तत्थ पाणाई भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणइ वत्तेति लेस्सेति संघाएइ संघट्टति परितावेइ किलामेइ ठाणायो ठाणं संकामेइ जीवियायो ववरोवेइ, तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणु परामुसइ 2 जाव उव्विहइ तावं च णं से पुरिसे कातियाए जाव पाणातिवायकिरियाए पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि य णं जीवाणं सरीरेहिं(हिंतो) धणू निव्वत्तिए तेऽवि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरि.