________________ श्रीमद्न्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 12. उ० 1] [401 महतिमहालिया जाव पडिगया, तए णं पालंभियाए नगरीए सिंघाडगतिय जाव पहेसु अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं तिदंडकुंडियं जाव धाउरत्त-वत्थ-परिहिए परिवडिय-विभंगे पालंभियं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छति जाव उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवकमति 2 तिदंडकुडियं च जहा खंदयो जाव पव्वइयो सेसं जहा सिवस्स जाव अब्बाबाहं सोक्खं अणुभवंति सासयं सिद्धा / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरति // सूत्रं 436 // एकारसमं सयं समत्तं // // इति एकादशमशतके द्वादशम उद्देशकः / / 11-12 // // इति एकादशमं शतकम् // 11 // ॥अथ द्वादशमशतके शङ्खश्रमणोपासकाख्य-प्रथमोद्देशकः॥ संखे 1 जयंति 2 पुढवि 3 पोग्गल 4 श्रइवाय 5 राहु 6 लोगे य 71 नागे य 8 देव 1 पाया 10 बारसमसए दसुबेसा // 1 // तेणं कालेणं 2 सावत्थीनाम नगरी होत्था वन्नयो, कोट्ठए चेइए पन्नो, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए बहवे संखप्पामोक्खा समणोवासगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति 1 / तस्स णं संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्था सुकुमाल जाव सुरुवा समणोवासिया अभिगयजीवा 2 जाव विहरइ 2 / तत्थ णं सावत्थीए नगरीए पोक्खलीनामं समणोंवासए परिवसइ अड्डे अभिगय जाव विहरइ 3 / तेणं कालेणं 2 सामी समोसढे परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ, तए णं ते समणोवासगा इमीसे जहा पालभियाए जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणां तीसे य महतिमहालियाए जाव धम्मकहा जाव परिसा पडिगया 4 / तए णं ते समणोवासगा समणस्त भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हटतुट्ठ जाव