________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं शतकं 6 : उ०५] [176 1 / सबजीवाणं एवं पुच्छा, गोयमा! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव चारिदिया, सेता दो पडिसेहेयजा, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया नो पञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणीवि पञ्चक्खाणापचक्खाणीवि, मणुस्सा तिन्निवि, सेसा जहा नेरतिया 2 / जीवा णं भंते ! कि पच्चक्खाणं जाणंति अपञ्चक्खाणं जाणंति पञ्चक्खाणापञ्चाखाणं जाणंति ?, गोयमा ! जे पंचेंदिया ते तिन्निवि जाणंति श्रवसेसा पचक्खाणं न जाणंति 3, 3 / जीवा णं भंते ! किं पञ्चक्खाणं कुव्वंति अपञ्चक्खाणं कुवंति पञ्चक्खाणापच्चक्खाणं कुवंति ?, जहा श्रोहिया तहा कुवणा 4 / जीवा णं भंते ! किं पचक्खाणनिधत्तियाउया अपञ्चक्खाणणिबत्तियाउया पचक्खाणापञ्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ?, गोयमा ! जीवा य वेमाणिया य पञ्चखाणणिव्वत्तियाउया तिन्निवि, श्रवसेसा अपञ्चक्खाणनिवत्तियाउया 5 / पञ्चक्खाणं 1 जाणइ 2 कुव्वति 3 तिन्नेव पाउनि बत्ती 4 / सपदेसुद्द संमि य एमेए दंडगा चउरो // 1 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति // सूत्रं 240 // छ? सए चउत्थो उद्दे सो॥ // इति षष्ठशतके चतुर्थ उद्देशकः // 6--4 / / // अथ षष्ठशतके तमस्कायाख्य पञ्चमोद्देशकः // किमियं भंते ! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ ? किं पुढवी तमुक्काएत्ति पवुञ्चति ? श्राऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति ? गोयमा ! नो पुढवी तमुक्काएत्ति पञ्चति श्राऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति 1 / से केण?णं जाव पवुञ्चति ?, गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगतिए सुभे देसं पकासेति अत्यंगइए देसं नो पकासेइ, से तेण?णं जाव पवुञ्चति 2 / तमुकाए णं भंते ! कहिं समुट्ठिए ? कहिं संनिट्ठिए ?, गोयमा ! जंबुद्दीवस्स 2 बहिया तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिलायो वेतियन्तायो अरुणोदयं समुह बायालीसं जोयणसहस्साणि श्रोगाहित्ता उवरिलायो जलंतायो