________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) में शतक 7 : उ०१०] [123 संजुत्ता कज्जति ?, हंता अस्थि है। कहराणं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्न थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं विससंमिस्सं भोयणं भुजेजा तस्स णं भोयणस्स यावाए भद्दए भवति तो पच्छा परिणममाणे 2 दुरूवत्ताए दुगंधत्ताए जहा महासवए जाव भुजो 2 परिणमति एवामेव कालोदाई जीवाणं पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले तस्स णं श्रावाए भदए भवइ, तो पच्छा विपरिणममाणे 2 दुरूवत्ताए जाव भुजो 2 परिणमति, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कन्जंति 4 / अस्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कजंति ?, हंता अस्थि 5 / कहन्नं भंते ! जीवाणं कलाणा कम्मा जाव कज्जति ?, कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुन्नं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं पोसहमिस्सं भोयणं भुजेजा, तस्स णं भोयणस्स श्रावाए नो भदए भवइ, तो पच्छा परिणाममाणे 2 सुरूवत्ताए सुवन्नत्ताए जाव सुहत्ताए नो दुक्खत्ताए भुजो 2 परिणमति, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाझ्यायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, तस्स णं आवाए नो भदए भवइ, तो पच्छा परिणममाणे 2 सुरूवत्ताए जाव नो दुक्खत्ताए भुजो 2 परिणमइ, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जावं कज्जति 6 // सूत्रं 306 // दो भंते ! पुरिसा सरिसया जाव सरिसभंडमत्तोवगरणा अन्नमन्नेणं सद्धिं अगणिकायं समारंभंति, तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेति एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति, एएसि णं भंते ! दोराहं पुरिसाणं कयरे 2 पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेक ? जाव अप्पवेयणतराए चेव ?, जेसे पुरिसे अगणिकायं उजालेइ ? जे वा से पुरिसे अगणिकायं निवावेति ?,