________________ 292 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः पोग्गले, से तेंणढणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जीवे पोग्गलीवि पोग्गलेवि 2 / नेरइए गां भंते ! किं पोग्गली पोग्गले ?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणिए नवरं जस्स जइ इंदियाई तस्स तइवि भाणियब्बाई 3 / सिद्धे गां भंते ! किं पोग्गली पोग्गले ?, गोयमा ! नो पोग्गली पोग्गले 4 / से केणटेगां भंते ! एवं बुच्चइ जाव पोग्गले ?, गोयमा ! जीवं पडुच्च, से तेणटेगां गोयमा ! एवं बुच्चइ सिद्धे नो पोग्मली पोग्गले 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 6 // सूत्रं 361 // अट्ठमसए दशमः // समत्तं अट्ठमं सयं // // इति अष्टमशतके दशम् उद्देशकः // 8-10 // // इति अष्टमं शतकम // 8 // // अथ नवमशतके जंबूद्वीपाख्य-प्रथमोद्देशकः // जंबुद्दीवे 1 जोइस 2 अंतरदीवा 30 असोच 31 गंगेय 32 / कुंडग्गामे 33 पुरिसे 34 नवमंमि सए चउत्तीसा // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिलानामं नगरी होत्था वन्नो, माणभद्दे चेइए वन्नो, सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहियो जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एवं वयासी-कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? एवं जंबुद्दीवपन्नत्ती भाणियब्वा जाव एवामेव सपुत्वावरेणं जंबुद्दीवे 2 चोइस सलिला सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीतिमक्खाया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 362 // नवमस्स पढमो॥ // इति नवमशतके प्रथम उद्देशकः // 1-1 // // अथ नवमशतके ज्योतिष्काख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-जम्बुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा ?, एवं जहा जीवाभिगमे जाव