________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विमोगः // अथ दशमशतके संवृतानगाराख्य-द्वितीयोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा पुरयो रुवाई निभायमाणस्स मग्गयो रूवाई अवयक्खमाणस्स पासयो रुवाइं अवलोएमाणस्स उड्डे स्वाइं बोलोएमाणस्स आहे ख्वाइं बालोएमाणस्स तस्स णं भंते / किं ईरियावहिया किरिया कन्जइ संपराइया किरिया कज्जइ ?, गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीयीपंथे ठिचा जाव तस्स णं णो ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कज्जइ 1 / से केण?णं भंते ! एवं बुचइ संवडस्स जाव संपराइया किरिया कन्जइ ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोभा एवं जहा सत्तमसए पढमोद्दे सए जाव से णं उस्सुत्तमेव रीयति, से तेण?णं जाव संपराइया किरिया कन्जइ 2 / संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरश्रो स्वाइं निभायमाणस्स जाव तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ ?, पुच्छा, गोयमा ! संवुडस्स जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कज्जइ नो संपराइया किरिया कजइ 3 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहा सत्तमे सए पढमोहे सए जाव से णं अहासुत्तमेव रीयति से तेणढेणं जाव नो संपराइया किरिया कन्जइ // सूत्रं 316 // कइविहा णं भंते ! जोणी पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा जोणी परणत्ता, तंजहा-सीया उसिणा सीतोसिणा, एवं जोणीपयं निरवसेसं भाणियव्वं // सूत्रं 317 // कतिविहा णं भंते ! वेयणा पन्नता ?, गोयमा ! तिविहा वेयणा पत्नत्ता, तंजहा-सीया उसिणा सीयोसिणा, एवं वेयणापयं निरवसेसं भाणियव्वं जाव नेरइयाणं भंते ! किं दुक्खं वेदणं वेदेति सुहं वेयणं वेयंति अदुक्खमसुहं वेयणं वेयंति ?, गोयमा ! दुक्खंपि वेयणं वेयंति सुहंपि वेयणं वेयंति अदुक्खममुहंपि वेयणं वेयंति // सूत्रं 318 // मासियगणं भंते ! भिक्खुपडिमं पडियन्नस्स अणगारस्स निच्चं वोस? काये चियत्ते देहे, एवं