________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 1 . उ. 5 ] [23 तश्रो पच्छा सिझति जाव अंतं करेस्संति वा ? हता गोयमा / तीतमणतं सासयं समयं जाव अंतं करेस्संति वा 4 / से नूणं भन्ते ! उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवलि अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! उप्पन्ननाणदसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थुत्ति वत्तव्वं सिया। सेवं भन्ते ! सेवं भन्ते ! त्ति 5 // सू० 42 // चउत्यो उद्देसो समत्तो॥ // इति प्रथमशतके चतुर्थ उद्देशकः // 1-4 // // अथ प्रथमशतके पृथिवीनामक-पञ्चमोद्देशकः // कति णं भन्ते ! पुढवीश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा! सत्त पुढवीयो पन्नत्तायो, तंजहा-रयणप्पभा जाव तमतमा 1 / इमीसे णं भन्ते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पत्नत्ता ?, गोयमा ! तीसं निर. यावास-सयसहस्सा पन्नत्ता, गाहा-तीसा य पन्नवीसा पनरस दसेव या सयसहस्सा / तिन्नेगं पंचूणं पंचेव अणुत्तरा निरया // 1 // 2 / केवइया णं भन्ते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता ?, एवं-चउसट्ठी असुराणं चउरासीई य होइ नागाणं / बावत्तरि सुवन्नाण वाउकुमाराण छन्नई // 1 // दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिंदाणयमग्गीणं / छराहंपि जुयलयाणं छावत्तरिमो सयसहस्सा // 2 // केवड्या णं भन्ते ! पुढविकाइयावाससयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पराणत्ता, गोयमा ! जाव असंखिजा जोतिसियविमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता 3 / सोहम्मे णं भन्ते ! कप्पे केवइया विमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता ?, गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पराणत्ता, एवं-बत्तीसट्ठावीसा बारस अट्ट चउरो सयसहस्सा / पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे // 1 // श्राणयपाणयकप्पे चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिन्नि / सत्त विमाणसयाइं चउसुवि एएसु कप्पेसु // 2 // एकारसुत्तरं हेट्ठिमेसु