________________ 24] - [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः सत्तुत्तरं सयं च मभिमए। सयमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥३॥सू० 43 // पुढवि द्विति योगाहण-सरीर-संघयणमेव संठाणे / लेस्सा दिट्ठी णाणे जोगुव श्रोगे य दस ठाणा // 1 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिठाणा परणत्ता ?, गोयमा ! असंखेजा वितिठाणा पगणत्ता, तंजहा-जहनिया ठिती समयाहिया जहनिया ठिई दुसम्याहिया जहनिया द्विती जाव असंखेजसमयाहिया जहनिया ठिई तप्पाउग्गुकोसिया ठिती 1 / इमीसे णं भन्ते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगसि निरयावासंसि जहनियाए ठितीए वट्टमाणा नेरझ्या कि कोहोवउत्ता माणोवउत्ता. मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! सब्वेवि ताव होजा कोहोवउत्ता 1, ग्रहवा. कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य 2, अहवा कोहोवउत्ता य माणोउवत्ता य 3, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ते य 4, अहवा कोहोवउत्ता य मायोवउत्ता य 5, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य 6, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य 7, 2 / अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य 1, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य 2, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायोवउत्ते य 3, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायाउवउत्ता य 4 एवं कोहमाणलोभेणवि चउ 4, एवं कोहमायालोभेणवि चउ 4 एवं 12, पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयब्बो, ते कोहं अमुचता 8, एवं सत्तावीसं भंगा णयव्वा 3 / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास-सयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाहियाए जहन्नहितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य लोभोवउत्ते य, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता