________________ 743 भीमदोगमसुधासिन्धु / द्वितीयो विभागः वोदाणे अकिरिया सिद्धी // 1 // सू० 112 // अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमातिखंति भासंति पराणवेंति परुति-एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स ग्रहे एस्थ णं महं एगे हरए अधे (थप्पे) पन्नते श्रणेगाई जोयणाई श्रायामविक्खंभेणं नाणादुमसंड-मंडितउद्दे से सस्सिरीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं बहवे श्रीराला बलाहया संसेयंति सम्मुच्छिति वासंति तव्वतिरित्ते य णं सया समिश्रो उसिणे 2 पाउकाए अभिनिस्सवइ / से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जगणं ते श्रराण- . उस्थिया एवमातिक्खंति जाव जे ते एवं परुति मिच्छं ते एवमातिक्खंति जाव सव्वं नेयव्वं, जाव अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि भासेमि पनवेसि पख्वेमि एवं खलु रायगिहस्स नगरस्स बहिया वेभारपब्वयस्स श्रदूरसामंते, एत्थ णं महातवोवतीरप्पभवे नामं पासवणे पन्नत्ते पंचधणुसयाणि थायामविक्खंभेणं नाणादुमसंडमंडिउद्दे से सस्सिरीए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरुवे पडिरूवे तत्थ णं बहवे उसिणजोणिया जीवा. य पोग्गला य उदगत्ताए वकमंति विउक्कमति चयंति उववज्जति तव्वतिरित्तेवि य aaN सया समियं उसिणे 2 अाउयाए अभिनिस्सवइ, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे पासवणं, एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवस्स पासवणस्स अट्ठ पन्नत्ते, सेवं भंते 2 त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति // सू० 113 // // इति रितीयशतके पच्चम उद्देशकः // 1-5 // // अथ द्वितीयशतके भाषाख्य-षष्ठोद्देशकः // से गुणं भंते ! मराणामीति श्रोहारिणी भासा, ऐव भासापदं भाणियव्वं // सू० 114 // ... ॥इति द्वितीयशतके षष्ठ उद्देशकः // 1-6 //