________________ भीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 8 : उ०३ / [261 बोहियनाणपजवा अणंतगुणा केवलनाणपजवा अणंतगुणा 1 / एएसि णं भंते ! मइअन्नाणपजवाणं सुयशन्नाणपजवाणं विभंगनाणपज्जवाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगनाणपजवा सुयशनाणपजवा अणंतगुणा मइअन्नाणपजवा अणंतगुणा 10 / एएसि णं भंते ! याभिणिबोहियणाणपज्जवाणं जाव केवलनाणपजवाणं मइअन्नाणपजवाणं सुयअन्नाणपजवाणं विभंगनाणपजवाणं य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा / सव्वत्थोवा मणपजवनाणपजवा विभंगनाणपजवा अणंतगुणा श्रोहिणाणपजवा अणंतगुणा सुयबन्नाणपजवा अणंतगुणा सुयनाणपजवा विसेसाहिया मइअन्नाणपजवा अणंतगुणा श्राभिणिबोहियनाणपजवा विसेसाहिया केवलणाणपजवा अणंतगुणा 11 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति ॥सूत्रं 323 // अट्ठमस्स सयस्स बितिश्रो उद्दसो। // इति अष्टमशतके द्वितीय उद्देशकः // 8-2 // // अथ अष्टमशतके वृक्षाख्य-तृतीयोद्देशकः // कइविहा णं भंते ! रुक्खा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा रुक्खा पराणत्ता, तंजहा-संखेजजीविया असंखेजजीविया अणंतजीविया 1 / से किं तं संखेजजीविया ?, संखेजजीविया श्रोगविया पराणत्ता, तंजहा-ताले तमाले तकलि तेतलि जहा पन्नवणाए जाव नालिएरी, जे यावन्ने तहप्पगारा, सेत्तं संखेजजीविया 2 / से किं तं असंखेजजीविया ?, असंखेजजीविया दुविहा पराणत्ता, तंजहा-एगट्टिया य बहुबीयगा य 3 / से किं तं एगट्ठिया ?, 2 अणेगविहा पराणत्ता, तंजहा-निबंब-जंबु-कोसंब-सालअंकोल्लपीलुसलूया / सल्लइमोयइमालुय बउलपलासे करंजे य // 1 // एवं जहा पन्नवणापए जाव फला बहुबीयगा, सेत्तं बहुबीयगा, सेत्तं असंखेजजीविया 4 / से किं तं अणंतजीविया ?, अणंतजीविया अणेगविहा पराणत्ता,