________________ 104 ] ..[ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः करेति जाव . नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुम्भं नीसाए सक्कं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादित्तएत्तिकटु उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अवकमइ 2 वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 जाव दोच्चपि वेउवियसमुग्घाएणं समोहणइ 2 एगं महं घोरं घोरागारं भीम भीमागारं भासुरं भयाणीयं गंभीरं उत्तासणयं कालडरत्त-मासरासि-संकासं जोयणसयसाहस्सीयं महावोंदि विउव्वइ 2 अप्फोडेइ 2 वग्गइ 2 गजइ 2 हयहेसियं करेइ 2 हत्थिगुलगुलाइयं करेइ 2 रहघणघणाइयं करेइ 2 पायदद्दरगं करेइ 2 भूमिचवेडयं दलयइ 2 सीहणादं नदइ 2 उच्छोलेइ 2 पच्छोलेइ 2 तिपइं छिदइ 2 वामं भुयं ऊसवेइ 2 दाहिणहत्थ-पदेसिणीए य अंगुट्ठणहेण य वितिरिच्छमुहं विडंबेइ 2 महया 2 सद्दे णं कलकलरवेणं करेइ, एगे अबीए फलिहरयणमायाए उट्ठ वेहासं उप्पइए 12 / खोभंते चेव अहेलोयं कंपेमाणे च मेयणितलं साकट्ठ (प्राकट्ट) तेव तिरियलोयं फोडेमाणेव अंबरतलं कत्थइ गज्जतो कत्थइ विज्जुयायंते कत्थइ वासं वासमाणे कत्थइ रउग्घायं पकरेमाणे कत्थइ तमुक्कायं पकरेमाणे वाणमंतरदेवे वित्तासेमाणे जोइसिए देवे दुहा विभयमाणे 2 श्रायरक्खे देवे विपलायमाणे 2 फलिहर. यणां अंबरतलंसि वियट्टमाणे 2 विउज्झाएमाणे 2 ताए उकिट्ठाए जाव तिरियमसंखजाणं दीवसमुदाणं मझ मझेणं वीयीवयमाणे 2 जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सोहम्मवडेंसए विमाणे जेणेव सभा सुधम्मा तेणव उवागच्छइ 2 एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ फलिहरयणेणं महया 2 सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं पाउडेइ 2 एवं वयासी-कहि णं भो ! सक्के देविंदे देवराया ? कहि णं तारो चउरासीइ सामाणियसाहस्सीयो ? जाव कहि णं तायो चत्तारि चउरासीइयो थायरक्खदेवसाहस्तीयो ? कहि णं तायो अोगायो अच्छराकोडीश्रो अज हणामि अज महेमि अज वहेमि अज ममं अवसायो अच्छरायो वसमुवण