________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) त्रं // शतकं 8 उ• 6 ] [ 256 एवं भवति इहेव ताव अहं एत्थवि ते चेव अट्ठ पालावगा भाणियव्या जाव नो विराहए 8 / निग्गंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए श्रणुपविट्ठाए अन्नयरे अकिञ्चट्ठाणे पडिसेविए तीसे णं एवं भवइ इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि जाव तवोकम्मं पडिवजामि तो पच्छा पवत्तिणीए अंतियं पालोएस्सामि जाव पडिवजिस्सामि, सा य संपट्ठिया असंपत्ता पवत्तिणी य. अमुहा सिया सा णं भंते ! कि श्राराहिया विराहिया ?, गोयमा ! श्राराहिया नो विराहिया, सा य संपट्ठिया जहा निग्गंथस्स तिन्नि गमा भणिया एवं निग्गंथीएवि तिन्नि घालावंगा भाणियव्वा जाव पाराहिया नो विराहिया 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-बाराहए नो विराहए ?, गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं उन्नालोमं वा गयलोमं वा सणलोमं वा कप्पासलोम वा तणसूयं वा दुहा वा तिहा वा संखेजहा वा छिदित्ता अगणिकायंसि पक्खिवेजा, से नूणं गोयमा ! छिजमाणे छिन्ने पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते दज्झमाणे दड्डेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं ! छिज्जमाणे छिन्ने जाव दड्डत्ति वत्तव्वं सिया, से जहा वा केइ पुरिसे वत्थं अहतं वा धोतं वा तंतुग्गयं वा मंजिट्ठादोणीए पक्खिवेजा से नूणं गोयमा ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते रजमाणे रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया ?, हंता भगवं ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते जाव रत्तेत्ति वत्तव्वं सिया, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-बाराहए नो विराहए 10 // सूत्रं 334 // पईवस्स णं भंते ! झियायमाणस्स किं पदीवे झियाति लट्ठी झियाइ वत्ती मियाइ तेल्ले झियाइ दीवचंपए झियाइ जोति झियाइ ? गोयमा ! नो पदीवे झियाइ जाव नो पदीवचंपए झियाइ जोइ झियाई 1 / श्रगारस्स णं भंते ! झियायमाणस्स किं श्रागारे झियाइ छड्डा झियाइ कडाणा झियाइ धारणा झियाइ बलहरणे झियाइ वंसा मियाइ मला झियाइ वग्गा मियाइ छित्तरा