________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2 : उ०१ ] [56 भंड-करंडग-समाणे मा णं सीयं मा णं उगहं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइय-पित्तियसंभिय-संनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए अणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पव्वावियं सयमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव अायारगोयरं विणय-वेणइयचरण-करण-जाया-मायावत्तियं धम्ममाइविखग्रं 4 ।तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं सयमेव पवावेइ जाव धम्ममातिक्खइ, एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं एवं निसीतियव्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उट्टाए 2 पाणेहिं भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं संजमियत्वं, अस्ति च णं अट्ठ णो किंचिवि पमाइयव्वं 5 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवयो महावीरस्स इमं एयाख्वं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवजति तमागाए तह गन्छइ तह चिट्ठइ तह निसीयति तह तुयट्टइ तह भुजइ तह भासइ तह उठाए 2 पाणेहिं भूएहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमइ, अस्सि च णं अट्ठ णो पमायइ 6 / तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते अणगारे जाते, ईरियासमिए भासासमिए एसणासमिए पायाण-भंडमत्त-निक्खेवणासमिए उचार-पासवण-खेल-सिंघाणजल-पारिट्ठावणियासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुतिदिए गुत्तवंभयारी चाई लज्जू धरणे खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अणियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेस्से सुसामराणरए दंते इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरयो काउं विहरइ 7 // सू० 12 // तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलायो नयरीयो छत्तपलासयायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरति 1 / तए णं से खंदए यणगारे समणस्स भगवयो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामा