________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सत्र : शतकं 7 : उ०२] तंजहा-दिसिधयं 1 उपभोगपरीभोगारिमाणं 2 अन्नत्थदंडवेरमणं 3 सामाइयं 4 देसावगासियं 5 पोसहोवधातो 6 अतिहिसंविभागो 7 अपछिम-मारणंतिय-सलेहणा-भूसणाराहणता 7 // सूत्रं 272 // जीवा णं भंते ! किं मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चवखाणी ?, गोयना ! जीश मूलगुण चक्खाणीवि उत्तरगुणपचक्खाणीवि अपञ्चवखाणीवि 1 / नेरझ्या णं भते ! किं मूलगुणपञ्चक्खाणी पुच्छा ?, गोयमा ! नेरइया नो मूलगुणपञ्चक्खाणी नो उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी 2 / एवं जाव चारिदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोगि,या मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेरइया 3 / एएसि णं भंते ! जीवाणं मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चवखाणी य कयरे 2 हित जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सबत्यावा जीवा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तर. गुणपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा अपञ्चक्खाणी अनंतगुणा 4 / एएसि णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! सम्बत्थोवा जीवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा अपचक्खाणी असंखिजगुणा 5 / एएसि णं भंते ! मणुस्साणं मूलगुणपञ्चक्खाणीणं पुच्छा, गोयमा ! सव्वत्योवा मणुस्सा मूलगुणपञ्चक्खाणी उत्तरगुणपञ्चक्खाणी संखेजगुणा अपञ्चक्खाणी असंखेजगुणा 6 / जीवा णं भंते! किं सव्वमूलगुणपचक्खाणी ? देसमूलगुणपञ्चक्खाणी ? अपञ्चक्खाणी ?, गोयमा ! जीवा सवमूलगुणपचक्खाणी देसमूलगुणपचक्खाणी अपवाखाणीवि 7 / नेरशाणं पुच्छा, गोयमा ! नेरझ्या नो सयमूलगुणपन्चक्खाणी नो देसमूलगुणपञ्चक्खाणी अपञ्चक्खाणी, एवं जाव चरिंदिया 8 / पंचिंदिययतिरिक्खपुच्छा, गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिय नो सवमूलगुणपचक्खाणी देममूलगुणपञ्चक्खाणी अपच्चक्खाणीवि, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतरजोइसवेमाणिया जहा नेरइया 1 / एएसि णं भंते !