________________ ... श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः" विश्य-पडिहय-पचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले यावि भवति, जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वदमाणस्स एवं अभिसमन्नागयं भवइ-इमे जीवा इमे अजीवा इमे तसा इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पञ्चक्खायमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति नो दुपचक्खायं भवति, एवं खलु से सुपञ्चक्खाई सव्वपाणेहिं जाव सबसत्तेहिं पञ्चक्खामिति वयमाणे सच्चं भासं भासइ नो मोसं भासं भासइ, एवं खलु से सच्चवादी सव्वपाणेहिं जाव सबसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं. संजय-विरय-पडिहय-पञ्चवखायपावकम्मे अकिरिए संबुडे एगंत-अदंडे एगंतपंडिए यावि भवति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ जाव सिय दुपच्चक्खायं भवति 2 // सूत्रं 271 // कतिविहे णं भंते ! पञ्चक्खाणे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पञ्चक्खाणे पन्नत्ते, तंजहा-मूलगुणपञ्चक्खाणे य उत्तरगुणपञ्चक्खाणे य 1 / मूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वमूलगुणपञ्चक्खाणे य देसमूलगुणपञ्चक्खाणे य 2 / सब्बमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वायो पाणाइवायायो वेरमणं जाव सव्वाश्रो परिग्गहायो वेरमणं 3 / देसमूलगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पन्नत्ते, तंजहा-थूलायो पाणाइवायायो वेरमणं जाव थूलायो परिग्गहायो वेरमणं 4 / उत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! दुविहे पन्नत्ते, तंजहा-सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे य देसुत्तरगुणपचक्खाणे य 5 / सव्वुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पनते ?, गोयमा ! दसविहे पन्नत्ते, तंजहा-यणागय 1 मइक्कतं 2 कोडीसहियं 3 नियंटियं 4 चेव / सागार 5 मणागारं 6 परिमाणकडं 7 निरवसेसं 8 // 1 // साकेयं 1 चेव श्रद्धाए 10 पञ्चवखाणं भवे दसहा 6 / देसुत्तरगुणपञ्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पत्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे. पंन्नत्ते,