________________ [ 16 श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं / / शतकं 3 : उ० 6 ] एवं वुच्चइ नो तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवति–एवं खलु यहं रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाइं जाणामि पासमि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव पासति 3 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी जाव रायगिहे नगरे समोहए समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, तं चेव जाव तस्स णं एवं होइ-एवं खलु यहं वाणारसीए नगरीए समोहए 2 रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणामि पासामि, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव अन्नहाभावं जाणइ पासइ 4 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउब्धियलद्धीए विभंगणाणलद्धीए वाणारसिं नगरि रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवग्गं समोहए 2 वाणारसिं नगरिं रायगिहं च नगरं अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणति पासति ? हंता जाणति पासति 5 / से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभा जाणइ पासइ ?, गोयमा ! णो तहाभावं जाणति पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ 6 / से केणटेणं जाव पासइ ?, गोयमा ! तस्स खलु एवं भवति एस खलु वाणारसी नगरी एस खलु रायगिहे नएरे एस खलु अंतरा एगे महं जणवयवग्गे, नो खलु एस महं वीरियलद्धी वेउब्वियलद्धी विभंगनाणलद्धी इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमराणागए, से से दंसणे विवच्चासे भवति, से तेण?णं जाव पासति 7 // सू० 162 // अणगारे गां भते ! भावियप्पा अमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्रीए वेउब्धियलद्धीए श्रोहिनाणलद्धीए रायगिहे नगरे समोहए 2 वाणारसीए नगरीए रूवाई जाणइ पासइ ?, हंता, से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणति पासति ?, गोयमा ! तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति 1 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?,