SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 120 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विमागः गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहणमि समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए स्वाइं जाणामि पासामि, से से दसणे अविवच्चासे भवति, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुञ्चति 2 / बीयो बालावगो एवं चेव नवरं वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्या रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणइ पासइ 3 / अणगारे गां भंते ! भावियप्या श्रमाई सम्मदिट्ठी वीरियलद्धोए वेउब्बियलडीए योहिनाणलद्धीए रायगिहं नगरं वाणारसिं नगरिं च अंतराएगं महं जणवयवग्गं समोहए 2 रायगिहं नगरं वाणारसिं च नगरि तं च अंतरा एगं महं जणवयवग्गं जाणाइ पासइ ? हंता जाणइ पासइ 4 / से भंते ! कि तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पामइ ?, गोयमा ! तहाभावं जाणइ पासइ, णो अन्नहा. भावं जाणइ पासइ 5 / से केणटणं ? गोयमा ! तस्स गां एवं भवति-नो खलु एस रायगिहे णगरे णो खलु एस वाणारसी नगरी नो खलु एस अंतरा एगे जणवयवग्गे, एस खलु ममं वीरियलद्धी वेउब्वियलद्धी योहिणाणलद्वी इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लद्रे पत्ते अभिसमन्नागए से से दसणे अविवचासे भवति से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चति तहाभावं जाणति पासति नो अन्नहाभावं जाणति पासति 6 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं गामख्वं वा नगरख्वं वा जाव सन्निवेतरुवं वा विकुवित्तए ?, यो तिण8 समटे, एवं बितियोवि घालावगो, णवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू 7 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू गामख्वाइं विकुवित्तए ?, गोयमा ! से जहानामए जुवतिं जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेराहेजा त चेव जाव विकुब्बिसु वा 3, एवं जाव सन्निवेसरूवं वा 8 // सूत्रं 163 // चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो कति थायरक्खदेवसाहस्सी पराणत्ता ? गोयमा ! चत्तारि चउसट्ठीयो थायरक्ख-देवसाहस्सीयो
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy