________________ 118 ] . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विमानः वग्य-वग-दीविय-अच्छतरच्छ-परासररूवं वा अभिजित्तए ?, णो तिणट्टे सम8, अणगारे णं एवं बाहिरए पोग्गले परियादित्ता पभू 10 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा एगं महं वासरूवं वा अभिजु जित्ता पभू अणेगाई जोयणाई गमित्तए ? हंता ! पभू 11 / से भंते ! किं यायड्डीए गच्छति परिडीए गच्छति ?, गोयमा ! श्राइड्डीए गच्छइ नो परिड्डीए, एवं पायकम्मुणा नो परकम्मुणा पायप्पयोगेगां नो परप्पोगेगां उस्सियोदयं वा गच्छइ पयोदगं वा गच्छइ 12 / से णं भंते ! किं अणगारे यासे ?, गोयमा ! अणगारे णं से नो खलु से पासे, एवं जाव परासरस्वं वा 13 / से भंते ! किं मायी विकुब्बति अमायी विकुब्वति ?, गोयमा ! मायी विकुब्यति नो अमायी विकुवति, माई णं भंते ! तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ कहिं उववज्जति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु अाभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववजइ, अमाई णं तस्स ठाणस्त अालोइयपडिक्कते कालं करेइ कहिं उववजति ?, गोयमा ! अन्नयरेसु प्रणाभियोगेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ 14 / सेवं भंते 2 ति, गाहा-इत्थीग्रसीपडागा जगणोवइए य होइ बोद्धव्वे / पल्हत्थियपलियंके अभियोगविकुब्वणा माई // 1 // 15 // सूत्रं 161 // तईए सए पंचमो उद्दे सो समत्नो॥ // इति तृतीयशतके पञ्चम उद्देशकः // 3-5 // // अथ तृतीयशतके नगराभिधो-षष्ठोद्देशकः // अणगारे णं भंते ! भावियप्पा माई मिच्छट्ठिी वीरियलद्धीए वेउवियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसि नगरिं समोहए समोहणित्ता रायगिहे नगरे ख्वाइं जाणति पासति ?, हंता जाणइ पासइ 1 / से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ अन्नहाभावं जाणइ पासइ ?, गोग्गमा ! णो तहाभावं जाणइ पासइ अराणहाभावं जाणइ पासइ 2 / से केणढेणं भंते !