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________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञाप्त (श्रीमद्भगवती) पुत्र : शतकं : उ०१५ ] [ 313 होजा श्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होजा श्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा एवं संचारेयव्वं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा 735, 1225, 735, 147, 7, (3003), 27 / नव भंते ! नेरतिया नेरतियपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा अहवा एगे रयणप्पभाए अट्ठ सकरप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा अट्टराहं भणियं तहा नवराहपि भाणियव्वं नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयब्बो, सेसं तं चेव पच्छिमो पालावगो श्रवा तिन्नि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए वा होजा 7-168-180-1160-1470-312-28 (5005), 28 / दस भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा 7 अहवा एगे रयणप्पभाए नव सकरप्पभाए होजा एवं दुयासंजोगो जाव सत्तसंजोगो य जहा नवराह नवरं एक्केको अब्भहियो संचारेयव्वो सेसं तं चेव अपच्छिमत्रालावगो अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सकरप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होजा, 7-181 --1260-2140-2646-882-84 (8008) 21 / संखेजा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा पुच्छा, गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा जाव अहेसत्तमाए वा होजा. 7 अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा श्रहवा दो रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए वा होजा एवं जाव श्रवा दो रयणप्पभाए संखेजा अहेसत्तमाए होजा अहवा तिनि रयणप्पभाए संखेजा सकरप्पभाए होजा एवं एएणं कमेणं एक्केको संचारेयवो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेजा सक्करप्पभाए होजा एवं जाव
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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