________________ 344] :: [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः रितीयो विभागः करेंति 2 ता वंदइ णमंसइ 2 समणं भगवं महावीरं उपसंपजित्ता णं विहरंति 14 // सूत्रं 386 // तए णं से जमाली अणगारे अत्रया कयावि तायो रोगायंकायो विप्पमुक्के हटे तुट्टे जाए अरोए बलियसरीरे सावत्थीयो नयरीश्रो कोट्ठयायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 पुव्वाणुपुब्धि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ 2 समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जहाणं देवाणुप्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्या भवेत्ता छउमत्थावकमणेणं श्रवक्ता णो खलु अहं तहा छउमत्थे भवित्ता छउमत्थावकमणेणं श्रवक्कमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं श्रवक्कमिए 1 / तए णं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासी-णो खलु जमाली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलसि वा थंभंसि वाथू सि वा श्रावरिजइ वा णिवारिजइ वा, जइ णं तुमं जमाली ! उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवक्कते तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली ?, सासए जीवे जमाली ! असासए जीवे जमाली ? 2 / तए णं से जमाली श्रणगारे भगवया गोयमेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएति भगवो गोयमस्स किंचिवि पमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्टइ 3 / जमालीति समणे भगवं महावीरे जमालिं अणगारं एवं क्यासी-अत्थि णं जमाली ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था जे णं पभू एवं वागरणं वागरित्तए जहाणं अहं नो चेव णं एयप्पगारं भासं भासित्तए जहा गंतुम, सासए लोए जमाली ! जन्न कयावि णासि ण कयाविण भवति ण कदावि ण भविस्सइ भुवि च भवइ य भविस्सइ य, धुवे णितिए सासए अक्खए श्रव्वए