________________ 344 ] - ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः द्वितीयो विभागः अपजत्तगाणं भंते ! मणुस्सा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणाई भयणाए दो थन्नाणाई नियमा, वाणमंतरा जहा नेरइया, अपजत्तगा जोइसियवेमाणिया णं तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा नियमा 25 / नो पजत्तगा नो अपजत्तगा णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सिद्धा 5, 26 / निरयभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा निरयगतिया 27 / तिरियभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, तिन्नि नाणा तिन्नि अन्नाणा भयणाए 28 / मणुस्सभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 21 / देवभवत्था णं भंते ! जहा निरयभवत्था 30 / अभवत्था जहा सिद्धा 6, 31 / भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ?, जहा सकाइया 32 / प्रभवसिद्धियाणं पुच्छा, गोयमा ! नो नाणी अन्नाणी तिन्नि अन्नाणाई भयणाए 33 / नो भवसिद्धियानोअभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी ? जहा सिद्धा 7, 34 / सन्नीणं पुच्छा जहा सइंदिया, असन्नी जहा बेइंदिया, नोसन्नीनोश्रसन्नी जहा सिद्धा 8, 35 // सूत्रं 311 // कइविहाणं भंते ! लद्धी पराणत्ता ?, गोयमा ! दसविहा लद्धी पराणत्ता, तंजहा-नाणलद्धी 1 दंसणलद्धी 2 चरित्तलद्धी 3 चरित्ताचरित्तलद्धी 4 दाणलद्धी 5 लाभलद्धी 6 भोगलद्धी 7 उवभोगलद्धी 8 वीरियलद्धी 1 इंदियलद्धी 10, 1 / णाणलद्धी णं भंते ! कइविहा पगणता ?, गोयमा ! पंचविहा पराणत्ता, तंजहा-श्राभिणिबोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी 2 / अन्नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पराणत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-मइअन्नाणलद्धी सुयअन्नाणलद्धी विभंगनाणलद्धी 3 / दसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पन्नत्ता ?, गोयमा ! तिविहा पराणत्ता, तंजहा-सम्मइसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादंसणलद्धी 4 / चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा परणत्ता ?, गोयमा ! पंचविहा पत्नत्ता, तंजहा-सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवट्ठावणियलद्धी