________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 10 उ०६] [363 रोहिणी मदणा चित्ता सोमा, तत्थ णं एगमेगाए सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं सयंपभे विमाणे सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासांसि, सेसं तं चेव, एवं जाव वेसमणस्स, नवरं विमाणाई जहा तइयसर 23 / ईसाणस्स णं भंते ! पुच्छा, अजो ! अट्ठ अग्गमहिसी पनत्ता, तजहा-कराहा कराहराई रामा रामरक्खिया वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं जहा सक्कस्स 24 / ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स सोमस्स महारराणो कति अग्गमहिसीथो ?, पुच्छा, अजो ! चत्तारि अग्गमहिसी पन्नत्ता, तंजहापुढवी रायी रयणी विज्जू, तत्थ णं एगमेगाए, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स नवरं विमाणा जहा चउत्थसए, सेसं ते चेव, जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं 25 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरइ // सूत्रं 406 // ॥इति दशमशतके पश्चम उद्देशकः // 10-6 // // अथ दशमशतके सुधर्मसभाख्य-षष्ठोद्देशकः // . कहि णं भंते / सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तंजहा-असोगवडेंसए जाव मज्झे सोहम्मवडेंसए, से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे श्रद्धतेरम य जोयणसयसहस्साई पायामविखंभेणं,-एवं जह सूरियाभे तहेव माणं तहेव उववायो। सकस्स य अभिसेश्रो तहेव जह सूरियाभस्स॥१॥अलंकारप्रचणिया तहेव जाव आयरक्खत्ति, दो सागरोवमाई ठिती 1 / सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्डीए जाव केमहसोक्खे ?, गोयमा ! महिड्डीए जाव महसोक्खे, से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं जाव विहरति,