________________ श्रीमद्व्याल्पायज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) : शतकं 7 :: उ०७] 25 पडुच भोगी, तेइंदियावि एवं चेव नवरं घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाई पडुच्च भोगी 17 / चरिंदियाणं पुच्छा गोयमा ! चउरिदिया कामीवि भोगीवि 18 / से केणढणं जाव भोगीवि ?, गोयमा ! चक्खिदियं पडुच्च कामी घाणिदियजिभिदियफासिदियाइं पडुच्च भोगी, से तेण?णं जाव भोगीवि, अवसेसा जहा जीवा जाव वेमाणिया 11 / एएसि णं भंते ! जीवाणं कामभोगीणं नोकामीणं नोभोगीणं भोगीण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा कामभोगी नोकामीनोभोगी श्रणंतगुणा भोगी अणंतगुणा 20 // सूत्रं 210 // छउमत्थे णं भंते ! मणूसे जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववजित्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं कम्मेणं बलेणं वीरिएणं पुरिसकारपरकमेणं विउलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए ?, से नूणं भंते ! एयमटुं एवं वयह ?, गोयमा ! णो इण? समढे, पभू णं उठाणेणवि कम्मेणवि बलेणवि वीरिएणवि पुरुसकारपरक्कमेणवि अन्नयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी भोगे परिचयमाणे महानिजरे महापजवसाणे भवइ 1 / पाहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए अन्नयरेसु देवलोएसु, एवं चेव जहा छउमत्थे नाव महापजवसाणे भवति 2 / परमाहोहिए णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं सिभित्तए जाव अंतं करेत्तए ?, से नूणं भंते ! से खीणभोगी, सेसं जहा छउमत्थस्स 3 / केवली णं भंते ! मणुस्से जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं, एवं जहा परमाहोहिए जाव महापजवसाणे भवइ 4 // सूत्रं 261 // जे इमे भंते ! असनिणो पाणा, तंजहा-पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा य एगतिया तसा, एए णं अंधा मूढा तमंपविट्ठा तमपडल-मोहजाल-पडिच्छण्णा अकामनिकरणं वेदणं वेदंतीति वत्तव्वं सिया ?, हंता गोयमा ! जे इमे असनिणो पाणा जाव पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा य जाव वेदणं वेदेतीति