________________ 16 [ श्रीमदागमसुधासिन् / द्वितीयो विभागों लोए सुभा नामा सुभा ख्वा सुभा गंधा सुभा रसा सुभा फासा एवतिया णं दीवसमुद्दा नामवेज्जेहिं पत्नत्ता, एवं नेयवा सुभा नामा उद्धारो परिणामो सधजीवा णं 2 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 251 // छट्ठसयस्स अट्ठमो॥ ... // इति षष्टशतके अष्टम उद्देशकः // 6-8 // // अथ षष्ठशतके काख्य-नवमोद्देशकः // * जीवे णं भंते ! णाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?, गोयमा ! सत्तविहबंधए वा अविहबंधए वा छविहबंधए वा, बंधु सो पनवणाए नेयन्यो। सू० 252 // देवे णं भंते ! महिड्डीए जाव महाणुभाए बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता(अपरियादिइत्ता) पभू एगवन्नं एगरूवं विउवित्तए ?, गोयमा ! नो तिण? सम? / देवे णं भंते ! बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पनू ?, हंता पभू, से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वति अन्नत्थगए पोग्गले. परियाइत्ता विउव्वति ?, गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वति, नो अनत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, एवं एएणं ग(क)मेणं जाव एगवन्नं एगरूवं 1 एगवरणं अणेगरूवं 2 श्रणेगवन्नं एगरूवं 3 अणेगवन्नं अणेगरूवं 4 चउभंगो / देवे णं भंते ! महिट्ठीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालयं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?, गोयमा ! नो तिण? समढे, परियाइत्ता पभू। से णं भंते ! किं इहगए पोग्गले-तं चेव नवरं परिणामेतित्ति भाणियव्वं, एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलचाए, एवं कालएणं जाव सुकिल्लं, एवं