________________ भीमव्याख्योप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) स्त्रं : शतक 6 :: उ०६ ) णीलएणं जावं सुकिल्लं, एवं लोहियपोग्गलं जाव सुकिलत्ताए, एवं हालिदएणं जाव सुकिलं, एवं एयाए परिवाडीए गंधरसफासपोग्गलं, कक्खडफासपोग्गलं मउयफासपोग्गलत्ताए 2 एवं दो दो गरुयलहुय 2 सीयउसिण 2 गिद्धलुक्ख 2, वनाइ सव्वस्थ परिणामेइ, अालावगा य दो दो पोग्गले अपरियाइत्ता परियाइत्ता // सूत्रं 253 // अविसुद्धलेसे णं भंते ! देवे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देवि अन्नयरं जाणति पासति ? णो तिण8 समढे 1 / एवं अविसुद्धलेसेणं देवे असमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्रलेसं देवं 3, जाणति पासति ? णो इण? सम? 2 / अविसुद्धलेसे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? गो इण? सम? 3 / अविसुद्धलेसे देवे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? ४।अविसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? 5 / अविसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ?णो इण? सम? 6 / विसुद्धलेसे असमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? समढे 1 / विसुद्धलेसे असमोहएणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ पासइ ? णो इण? सम? 2 / विसुद्धलेसे णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ?, हंता जाणइ 3 / एवं विसुद्धलेसे समोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ?, हंता जाणइ 4 / विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ? हंता जाणइ 5 / विसुद्धलेसे समोहयासमोहएणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं 3 जाणइ ? हंता जाणइ 6 / एवं हेट्ठिलएहिं अट्टहिं न जाणइ न पासइ उवरिल्लएहिं चाहिं जाणाइ पासइ / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाब विहरति // सूत्रं 254 // छट्टसए नवमो उद्दे सो॥ // इति षष्ठशतके नवम उद्देशकः // 6-9 //