________________ भीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भागपती) सत्र शतक 8 : उ०८] [265 // अथ अष्टमशतके प्रत्यनीकाख्याष्टमोद्देशकः // - रायगिहे नयरे जाव एवं वयासी-गुरू णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणता ?. गोयमा ! तो पडिणीया पराणता, तंजहा-पायरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए थेरपडिणीए 1 / गई णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणत्ता ?, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-इहलोगपडिणीए. परलोगपडिणीए दुहबोलोगपडिणीए 2 / समूहगणं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पराणत्ता ?, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता तंजहा-कुलपडिणीए गणपडिणीए संघपडिणीए 3 / अणुकंपं पडुच्च पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-तवस्सि. पडिणीए गिलाणपडिणीए सेहपडिणीए 4 / सुयराणं भंते ! पडुच्च पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पराणत्ता, तंजहा-सुत्तपडिणीए अत्थपडिणीए तदुभयपडिणीए 5 / भावं णं भंते ! पडुच पुच्छा, गोयमा ! तो पडिणीया पन्नत्ता, तंजहा-नाणपडिणीए दंसणपडिणीए चरित्तपडिणीप 6 // सूत्रं 331 // कइविहे णं भंते ! ववहारे पन्नते ?, गोयमा ! पंचविहे ववहारे पन्नत्ते, तंजहा-श्रागमे सुत्तं पाणा धारणा जीए, जहा से तत्थ श्रागमे सिया आगमेणं ववहारं पट्टवेजा, णो य से तत्थ श्रागमे सिया जहा से तत्थ सुते सिया सुएणं ववहारं पट्टवेजा, णो वा से तत्थ सुए सिया जहा से तत्थ प्राणा सिया श्राणाए ववहारं पट्ठवेजा, णो य से तत्थ आणा सिया जहा से तत्थ धारणा सिया धारणाए णं ववहारं पट्टवेजा, णो य से तत्थ धारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएणं ववहारं पट्टवेजा, इच्चेएहिं पंचहिं ववहारं पट्टवेजा, तंजहा-आगमेणं सुएणं श्राणाए घारणाए जीएणं, जहा 2 से श्रागमे सुए श्राणा धारणा जीए तहा 2 ववहारं पट्टवेज्जा 1 / से किमाहु भंते !, बागमबलिया समणा निग्गंथा इच्चेयं पंचविहं ववहारं जया 2 जहिं 2 तहा 2 तहिं 2 24