SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीमयारूपाप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतक 7 : उ०१ ] हत्थिरायं दुरूढे 5 / तए णं से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे जहा उववाइए जाव सेयवरचामराहिं उद्धृव्वमाणीहिं उद्धव्वमाणीहिं हयगय-रह.पवर-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिबुडे महया भड-चडगरविंद-परिक्खित्ते जेणेव महासिलाए कंटए संगामे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता महासिलाकंटयं संगामं श्रोयाए, पुरयो य से सक्के देविदे देवराया एगं महं अभेजकवयं वइरपडिरूवगं विउवित्ताणं चिट्ठति, एवं खलु दो इंदा संगाम संगामेंति, तंजहा-देविंदे य मणुइंदे य, एगहत्थिणावि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए 6 / तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटकं संगाम संगामेमाणे नव मल्लइ नव लेच्छइ कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो हय-महिय-पवर-वीरघाइय-वियडिय-चिंधद्धय-पडागे किच्छपाणगए दिसो दिसि पडिसेहित्था 7 / से केण?णं भते ! एवं वुच्चइ महासिलाकंटए संगामे 21, गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ श्रासे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा पत्तेण वा कट्टेण वा सकराए वा अभिहम्मति सब्बे से जाणइ महासिलाए अहं अभिहए महासिलाए अहं अभिहए, से तेणटेणं गोयमा ! महासिलाकंटए संगामे 2, 8 / महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीयो वहियायो ?, गोयमा ! चउरासीइं जणसयसाहस्सीयो वहियायो 1 / ते णं भंते ! मणुया निस्सीला जाव निप्पञ्चक्खाणं पोसहोववासा स्ट्ठा परिकुविया समरवहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहिं उववन्ना ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववन्ना // सूत्रं 300 ॥णायमेयं अरहया सुयमेयं अरहया विनायमेयं अरहया रहमुसले संगामे 2, 1 / रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था के पराजइत्था ?, गोयमा ! वजी विदेहपुत्ते चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया जइत्था नव मलई नव लेच्छई पराजइत्था 2 / तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं, उवट्ठियं सेसं
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy