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________________ 1.218] श्रीनरागमसुधासिन्धुः। द्वितीभ्यो विभागः सरिसत्तएं सरिसव्वए सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पंडिरहं हन्दमागए 6 / तए णं से पुरिसे वरुणं णागणत्तुयं एवं वयासी-पहण भो वरुणा ! णागणत्या ! पहणं 2, तए णं से वरुणे णागणत्तुए तं पुरिसं एवं वदासी-नो खलु मे कप्पइ देवाणुप्पिया ! पुदि ग्रहयस्स पहणित्तए, तुमं चेव णं पुव्वं पहणाहि 7 / तए णं से पुरिसे वरुणेणं णागणसुएणं एवं वुत्ते समाणे श्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ 2 उसु परामुसइ उसु परामुसित्ता अणं गति ठाणं ठिचा पाययकन्नाययं उसुकरेइ अाययकन्नाययं उसु करेता वरुणं णागणत्तुयं गाढप्पहारी करेइ = / तए णं से वरुणे णागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे ग्रासुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ धणु परामुसित्ता उसु परामुसइ उसु परामुसित्ता प्राययकनायवं उसुकरेइ श्राययकन्नाययं उसु करेत्ता 2 तं पुरिसं एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियायो ववरोवेइ 1 / तए णं से वरुणे णागणत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसकारपरकमे श्रधारणिजमितिकटु तुरए निगिराहइ तुरए निगिरिहत्ता रहं परावत्तेइ रहं परावत्तित्ता रहमुसलायो संगामाश्रो पडिक्खिमति 2 एगंतमंतं अवकमइ एगंतमंतं अवकमित्ता तुरए निगिराहइ 2 रहं ठवेइ 2 त्ता रहायो पचोरहइ 2 रहायो तुरए मोएइ तुरए मोएत्ता तुरए विसज्जेइ 2 ता [ ग्रन्थ 4000 ] दब्भसंथारगं संथरइ 2 दम्भसंथारगं दुरुहइ दम्भसंथारगं दुरहित्ता [ पुरच्छाभिमुहे दम्भसंथारगं दुरूहइ 2 ] पुरच्छाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयल जाव कटु एवं वयासी-नमोत्थु णं अरिहंताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्यु णं समणस्स भगवत्रो महावीरस्स प्राइगरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स वंदामि णं भगवन्तं तत्थगयं इहगए पासउ मे से भंगवं तत्थगए जाव वंदति नमसति .2 एवं वयासी-पुस्विपि मए समयास्स भगवश्री महावीरस्स अंतिए थूलए पापा
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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