________________ श्रीमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र : शतकं 11 : उ० 11 / ... [345 से जहानामए नट्टिया सिया सिंगारागारचारवेसा जाव कलिया रंगट्ठाणंसि जणसयाउलंसि जणमयसहस्साउलंसि बत्तीसइविहस्स नट्टस्स अन्नयरं नट्टविहिं उवदंसेजा, से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्ठियं श्रणिमिसाए दिट्ठीए सव्वश्रो समंता समभिलोएंति ?, हंता समभिलोएंति, ताश्रो णं गोयमा ! दिट्ठीयो तसि नट्टियंसि सव्वत्रो समंता संनिपडियायो ?, हता सन्निपडियायो, अत्थि | गोयमा ! तायो दिट्ठीयो तीसे नट्टियाए किंचिवि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिण8 समढे, श्रहवा सा नट्टिया तासि दिट्ठीणं किंचि आवाहं वा वाबाई वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेइ ?, णो तिणटे समडे, तारो वा दिट्ठीश्रो अन्नमनाए दिट्ठीए किंचि श्राबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिण? सम?, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ जाव तं चेव जाव छविच्छेदं वा करेंति 2 // सूत्रं 422 // लोगस्स णं भंते ! एगंमि श्रागासपए जहन्नपए जीवपएसाणं उकोसपए जीवपएसाणं सव्वजीवाण य कयरे 2 जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सम्वत्थोवा लोगस्स एगंमि श्रागासपएसे जहन्नपए जीवपएसा, सयजीवा असंखेजगुणा, उकोसपए जीवपएसा विसेसाहिया 1 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 2 // सूत्रं 423 // एकारससयस्स दसमोद्दे सो समत्तो॥ ॥इति एकादशमशतके दशम उद्देशकः // 11-10 // // अथ एकादशमशतके कालाख्य-एकादशमोद शकः // - तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नामं नगरे होत्था वनश्रो, दूतिपलासे चेइए वनयो जाव पुढविसिलापट्टयो, तत्थ णं वाणियगामे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिखसइ अड्डे जाव अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, सामी समोसढे जाव परिसा पज्जुवासइ