________________ श्रीमव्याख्योप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) एवं : शतकं 7 : उ० 1] [213 जे निजिन्ने से सुहे ?, हंता गोयमा ! नेरझ्याणं पावे कम्मे जाव सुहे, एवं जाव वेमाणियाणं // सूत्रं 215 / कति णं भंते ! सनायोपन्नत्तायो ?, गोयमा ! दस सन्नायो पत्नत्तायो, तंजहा-श्राहारसन्ना 1 भयसन्ना 2 मेहुणसना 3 परिग्गहसन्ना 4 कोहसन्ना 5 माणसन्ना 6 मायासन्ना 7 लाभसन्ना 8 लोगसन्ना 1 श्रोहसन्ना : 10, एवं जाव वेमाणियाणं 1 / नेरइया दसविहं वेयणं (वेयणिज्ज) पञ्चणुभवमाणा विहरंति, तंजहा-सीयं उसिणं खुहं पिवासं कंडु परझं जरं दाहं भयं सोगं // सूत्रं 216 // से नूणं भंते ! हत्थिस्स य कुथुस्स य समा चेव अपचक्खाणकिरिया कजति ?, हंता गोयमा ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य जाव कजति 2 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जाव कजइ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च, से तेणढेणं जाव कजइ 2 // सूत्रं 217 // श्राहाकम्मरणं भंते ! भुजमाणे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं. उवचिणाइ ? एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव सासए पंडिए पंडियत्तं असासयं, सेवं भंते ! सेवं भंते !त्ति जाव विहरति॥सूत्रं 218 // सत्तमसयस्स अट्ठम उद्दे सो॥ ___ // इति सप्तमशतके अष्टम उद्देशकः // 7-8 // // अथ सप्तमशतके असंवृताख्य-नवमोद्देशकः // असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवन्नं एगरुवं विउवित्तए ?, णो तिण? समढे 1 / असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभु एगवन्नं एगरुवं जाव हंता पभू 2 / से भंते ! किं इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वइ ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? अन्नत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुष्वइ ?, गोयमा ! इहगए.पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ नो अन्नत्थगए पोग्गले जाव विकुव्वति 3 / एवं एगवन्नं