________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (भीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं. 1 : उ० 7 ] [33. अट्ठदंडगा तहा श्रद्धेणवि अट्ठ दंडगा भाणियव्वा, नवरं जहिं देसेणं देसं उववज्जइ तहिं श्रद्धेणं अद्धं उववजइ इति भाणियव्वं, एयं णाणत्तं एते सव्वेवि सोलसदंडगा भाणियव्वा 5 // सू० 58 // जीवे णं भंते ! किं विग्गहगतिसमावन्नए अविग्गहगतिसमावन्नए ?, गोयमा सिय विग्गहगइसमावन्नए सिय अविग्गहगतिसमावन्नगे, एवं जाव वेमाणिए 1 / जीवा णं भंते ! कि विग्गहगइ-समावन्नया अविग्गहगइ-समावन्नगा ?, गोयमा ! विग्गहगइसमावन्नगावि अविग्गहगइसमावन्नगावि 2 / नेरझ्या णं भंते ! किं विग्गहगतिसमावन्नया अविग्गहगतिसमावन्नगा ?, गोयमा ! सव्वेवि ताव होजा अविग्गहगतिसमावन्नगा 1 अहवा अविग्गहगतिसमावन्नगा य विग्गहगतिसमावन्ने य 2 अहवा अविग्गहगतिसमावनगा य विग्गहगइसमावनगा य 3, एवं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो 3 // सू० 51 // देवे णं भंते ! महिड्डिए महज्जुईए महब्बले महायसे महासुक्खे महाणुभावे अविउक्कंतियं (चयं) चयमाणे किंचिवि कालं हिरिवत्तियं दुगुछावत्तियं परिसबत्तियं श्राहारं नो याहारेइ, अहे णं अाहारेइ, पाहारिजमाणे श्राहारिए परिणामिन्जमाणे परिणामिए पहीणे य ग्राउए भवइ जत्थ उववज्जइ तमाउयं पडिसंवेएइ, तंजहा-तिरिवखजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा ?, हंता गोयमा ! देवे णं महिड्डीए जाव मणुस्साउयं वा // सू० 60 // जीवे णं भंते गभं वकमाणे कि सईदिए वक्कमइ अणिदिय वक्कमइ ?, गोयमा ! सिय सइंदिए वक्कमइ सिय अणिदिए वक्कमइ, से केणढणं ?, गोयमा ! दविदियाई पडुच्च अणिदिए वक्कमइ, भाविंदियाई पडुच्च सइंदिए वक्कमइ, से तेण?णं. 1 / जीवे णं भंते ! गभं वकममाणे किं ससरीरी वकमइ असरीरी वक्कमइ ?, गोयमा। सिय ससरीरी वकमइ सिय असरीरी वकमइ, से केणटेणं ?, गोयमा ! पोरालिय-वेउब्विय-याहारयाई पडुच्च असरीरी वक्कमइ तेयाकम्माइं पडुच्च ससरीरी वक्कमइ, से तेण?णं गोयमा !0 2 /