________________ [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः : द्वितीयो विभागः भवंति, अगड-तडाग-दह-नदीयो पावि-पुक्खरिणी-दीहिया गुजालिया सरा सरपंतियायो सरसरपंतियायो क्लिपंतीयायो परिग्गहियायो भवंति, बारामुजाणा काणणा वणाई वणसंडाइं वणराईयो परिग्गहियायो भवंति, देवउल-सभा-पवा-थूभाखातिय-परिखाग्रो परिग्गहियायो भवंति, पागारट्टालगचरियदार-गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाद-घर-सरणनेण-श्रावणा परि. गहिता भवंति, सिंघाडग-तिग-चउक-चच्चर-चउम्मुह महापहा परिग्गहिया भवंति, सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्ली-सीय-संदमाणियायो परिग्गहियायो भवंति लोही-लोह-कटाह-कडुच्छुया परिग्गहिया भवंति, भवणा परिग्गहिया भवंति, देवा देवीयो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणियो तिरिक्खजोणिणीयो पासण-सयण--खंभ-भंड-सचित्ताचित्तमीसयाई दवाइं परिग्गहियाइं भवंति, से तेणट्ठणं जाव अपरिग्गहिया 7 / जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्साणवि भाणियब्वा, वाणमंतरजोतिसवेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा 8 // सूत्रं 211 // पंच हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउं जाणइ हेउं पासइ हेउं बुज्झइ हेउं अभिसमागच्छति हेउं छउमत्थमरणं मरइ 1 / पंचेव हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ 2 | पंच हेऊ पराणत्ता, तंजहा-हेउं न जाणइ जाव हेउं अन्नाणमरणं मरइ 3 / पंच हेऊ पन्नत्ता, तंजहा-हेउणा ण जाणति जाव हेउणा अन्नाण मरणं मरति 4 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउं जाणइ जाव अहेउं केवलिमरणं मरइ 5 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउणा जाणइ जाव अहेउणा केवलिमरणं मरइ 6 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहाअहेउं न जाणइ जाव अहेउं छउमस्थमरणं मरइ 7 / पंच अहेऊ पराणत्ता, तंजहा-अहेउणा न जाणइ जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरइ 8 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 1 // सूत्रं 220 // // इति पत्रमशतके सप्तम उद्देशकः // 5-7 //