________________ श्रीमलाग्न्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र :: शतकं 4 : उ० 5-6-7-8-9 ] [ 126 नाम महाविमाणे पराणने ?, गोयमा ! जंबूद्दीचे 2 मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव ईसाणे णामं कप्पे पराणत्ते, तत्थ णं जाव पंचवडेंसया पराणत्ता, तंजहा-अंकवडेंसए फलिहवडिंसए रयणवडेंसए जायरूववडिसए मज्झे य तत्थ ईसाणवडेंसए, तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं तिरियमसंखेजाइं जोयणसहस्साई वीतिवतित्ता एत्थ णं ईसाणस्स 3 सोमस्स 2 सुमणे नामं महाविमाणे पराणते अद्धतेरसजोयण जहा सकस्स वत्तव्यया ततियसए(सत्तमे उद्देसए) तहा ईमाणस्तवि जाव अचणिया समत्ता 3 / चउराहवि लोगपालाणं विमाणे 2 उद्देसयो, चउसु विमाणेसु चत्तारि उद्देसा अपरिसेसा, नवरं ठितिए नाणत्तं-'यादिदुय तिभागूणा पलिया 1 धणयस्स होंति दो चेव / दो सतिभागा वरुणे पलियमहावचदेवाणं // 1 // 4 // सूत्रं 172 // चउत्थे सए पढमबिइयतइयचउत्था उद्देरेसा समत्ता // // इति चतुर्थ शतके प्रथम-द्वितीय-तृतीय-चतुर्था उद्देशकाः // 4-1 // 4 // // अथ चतुर्थशतके राजधानीनामकाः पञ्चमषष्ठसप्तमाष्टमोद्देशकाः // रायहाणिसुवि चत्तारि उद्देसा भाणियव्वा जाव एवमहिड्डीए जाव वरुणे महाराया। सूत्रं १७३॥चउत्थे सए पंचमछट्ठसत्तमट्ठमा उद्देसा समत्ता॥ // इति चतुर्थशतके पञ्चम-षष्ठ-सप्तमाष्टमोद्देशकाः // 4-5 // 8 // // था चतर्थशतके नारकाभिध-नवमोद्देशकः // नेरइए णं भंते ! नेरतिएसु उववज्जइ ? अनेरइए नेरइएसु उबवजइ ? पनवणाए लेस्सापए ततियो उद्देसयो भाणियन्वो जाव नाणाई // सूत्रं 174 // चउत्थसए नवमो उद्देसो समत्तो। // इति चतुर्थशतके नवम उद्देशकः / / 4-9 / /