________________ 114 ] or : --[ श्रीनदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागे। पासइ 4, 1 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देविं वेउब्वियसमुग्याएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणिं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! एवं चेव 2 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा देवं सदेवीयं वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहयं जाणरूवेणं जायमाणं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! अत्थेगइए देवं सदेवीयं पासइ नो जाणं पासइ, एएणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा 4, 3 / अणगारे णं भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं अंतो पासइ बाहिं पासइ ? चउभंगो 4 / एवं किं मूलं पासइ कंदं पासइ ?, चउभंगों, मूलं पासइ खंधं पासइ चउभंगो 5 / एवं मूलेणं बीजं संजोएयव्वं, एवं कंदेणवि समं संजोएयव्वं जाव बीयं, एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं 6 / अणगारे गां भंते ! भावियप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ बीयं पासइ ?, चउभंगो 7 / // सू० 156 // पभू णां भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरुवं वा पुरिसरुवं वा हत्थिरूवं वा जाणरूवं वा एवं जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीय-संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ?, गोयमा ! णो तिणटे सम?, वाउकाएगां विकुबमाणे एगं महं पडागासंठियं रूवं विकुबइ 1 / पभू गां भंते ! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउवित्ता अणेगाई जोयणाई गमित्तए ?, हंता ! पभु 2 / से भंते ! किं पायड्डीए गच्छइ परिडीए गच्छइ ?, गोयमा ! अायडीए गच्छइ णो परिड्डीए गच्छइ जहा अायड्डीए एवं चेव श्रायकम्मुणावि अायप्पयोगेणवि भाणियव्वं 3 / से भंते ! किं ऊसियोदगं गच्छइ पतोदगं गच्छइ ?, गोयमा ! ऊसियोदयंपि गच्छइ पयोदयंपि गच्छइ 4 / से भंते ! कि एगोपडागं गच्छइ दुहयोपडागं गच्छइ ?, गोयमा ! एगो पडागं गच्छइ नो दुहयो पडागं गच्छइ 5 / से गां भंते ! किं वाउकाए पडागा ?, गोयमा ! वाउकाए गां से नो खलु सा पडागा 6 // सूत्रं 157 // पभू गां भंते ! बलाहगे एगं महं इत्थिरूवं वा जाव संदमाणियरूवं वा परिणामेत्तए ?, हंता, पभू 1 / पभू गां भंते ! बलाहए एगं महं इथिरुवं परिणामेत्ता