________________ भंडं अणापरायगं भंडं अणुग में भंडे अभंड भागवसइ नो परा श्रीमद्न्याश्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) यत्रं शतकं 8 : उ०५ ] [253 साहियायो 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति 2 // सूत्रं 327 // // इति अष्टमशतके चतुर्थ उद्देशकः / / 8-4 / / // अथ अष्टमशतके आजीविकाख्य-पञ्चमोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-याजीविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं वयासी-समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडे अवहरेजा से णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सयं भंडं अणुगवेसइ ? परायगं भंडं अंणुगवेसइ ?, गोयमा ! सयं भंडं अणुगवेसति नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ, तस्स णं भंते ! तेहिं सीलब्बयगुणवेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवति ?, हंता भवति 1 / से कणं खाइ णं अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सयं भंड अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवति-णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्ने नो मे कसे नो मे दूसे नो मे विउल-धण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवालरत्तरयणमादीए संतसार-सावदेज्जे, ममत्तभावे पुण से अपरिगणाए भवति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवेसइ 2 / समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केति जायं चरेजा से णं भंते ! किं जायं चरइ अजायं चरइ ?, गोयमा ! जायं चरइ नो अजायं चरइ 2 / तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वयगुण-वेरमण-पञ्चक्खाण-पोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ ?, हंता भवइ 3 / से केणं खाइ णं अट्ठणं भंते ! एवं बुचइ-जायं चरइ नो अजायं चरइ ?, गोंयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता णो मे पिता णो मे भाया णो मे भगिणी णो मे भजा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो भे सुराहा, पेजबंधणे पुण से श्रवोच्छिन्ने भवइ, से तेणटेणं गोयमा ! जाव नो