________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 2: उ०१ ] भगवया महावीरेणं अब्भणुराणाए समाणे हट्टतुट्ठ जाव हयहियए उठाए उद्वेइ 2 समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ 2 जाव नमंसित्ता सयमेव पंच महब्बयाई श्रारहेइ 2 ता समणे य समणीयो य खामेइ 2 ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं 2 दुरूहेइ मेहघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढविसिलावट्टयं पडिलेहेइ 2 उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ 2 दब्भसंथारयं संथरेइ 2 दम्भसंथारयं दुरूहेइ 2 दम्भसंथारोवगते पुरत्याभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वदासी-नमोऽत्थु णं अरहताणं भगवंताणं जाव संपत्तागां, नमोऽत्थु गां समणस्स भगवयो महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि गां भगवंतं तत्थ गयं इहगते, पासउ मे भयवं तत्थगए इहगयंतिकटु वंदइ नमसति 2 एवं वदासीपुबिपि मए समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पञ्चक्खाए जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्ले पञ्चक्खाए जावज्जीवाए इयाणिपि य गां समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पञ्चक्खामि जावजीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पञ्चक्खामि, एवं सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चरविहंपि श्राहारं पञ्चक्खामि जावजीवाए, जंपि य इम सरीरं इट्ट कंतं पियं जाव फुसंतुत्तिक? एयंपिणं चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं वोसिरामित्तिकटु संलेहणा-जूसणाजूसिए भत्तपाण-पडि. याइक्खिए पात्रोवगए कालं अणवकंखमाणे विहरति 1 / तए गां से खंदए अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाणां थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई इक्कारस अंगाई अहिन्जित्ता बहुपडिपुराणाई दुवालसवासाई सामनपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसित्ता सर्टि झत्ताई अणसणाए छेदेत्ता पालोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते प्राणुपुबीए कालगए // सू० 15 // तए गां ते थेरा भगवंतो कंदयं अणगारं