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________________ 230) [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः 3, 10 / जइ पयोगपरिणया कि मणप्पयोगपरिणया 3 ?, एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेजा असंखेजा अणंता य दवा भाणियव्वा, दुयासंजोएणं तियासंजोएणं जाव दससंजोएणं बारससंजोएणं उवर्जु जिऊणं जत्थ जत्तिया संजोगा उडेति ते सव्वे भाणियव्वा, एए पुण जहा नवमसए पवेसणाए भणिहामि तहा उवजुञ्जिऊण भाणियव्वा जाव असंखेजा अणंता एवं चेव, नवरं एक पदं अमहियं जाव अहवा अणंता परिमंडलसंगणपरिणया जाव अणंता श्राययसंठाणपरिणया 11 // सूत्रं 314 // एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं पयोगपरिणयाणं मीसापरिणयाणं वीससापरिणयाण य कयरे 2 हिंतो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सम्बत्योवा पोग्गला पयोगपरिणया मीसापरिणया अणंतगुणा वीससापरिणया श्रणंतगुणा / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 315 // अट्ठमसयस्स पढमो उद्दे सो समत्तो॥ // इति अष्टमशतके प्रथम उद्देशकः / / 8-1 // // अथ अष्टमशतके आशीविषाख्य-द्वितीयोदशकः // ___ कतिविहा णं भंते ! श्रासीविसा पन्नत्ता ?, गोयमा ! दुविहा पासीविसा पनत्ता, तंजहा-जातियासीविसा य कम्मश्रासीविसा य 1 / जाइयासीविसा णं भंते ! कतिविहा पत्नत्ता ?, गोयमा ! चउविहा पन्नत्ता, तंजहा-विच्छुयजातियासीविसे मंडुक्कजाइबासीविसे उरगजातियासीविसे मणुस्सजातिपासीविसे 2 / विच्छुयजातिश्रासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विसए पन्नते ?, गोयमा ! पभू णं विच्छुयजातिप्रासीविसे श्रद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोदि विसेणं विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए, विसए से विसट्टयाए नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा 1, 3 / मंडुक्कजातिश्रासीविसपुच्छा, गोयमा ! पभू णं मंडुकजातिवासीविसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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