________________ 412 / [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागा जाव अणुपरियट्टइ 13 / तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवश्रो महावीरस्स अंतियं एयमढे सोचा निसम्म हटुतुट्ठा सेसं जहा देवाणंदाए तहेव पव्वइया जाव सव्वदुक्खप्पहीणा 14 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरति 15 // सूत्रं 443 // // इति द्वादशमशतके द्वितीय उद्देशकः // 12-2 // // अथ द्वादशमशतके पृथिवीनामक-तृतीयोद्देशकः // ____ रायगिहे जाव एवं वयासी-कइ णं भंते ! पुढवीश्रो पन्नत्तायो ?, गोयमा ! सत्त पुढवीयो पराणत्ताश्रो, तंजहा-पढमा दोचा जाव सत्तमा 1 / पढमा णं भंते ! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पराणत्ता ?, गोयमा ! घम्मा नामेणं रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेरइयउद्दसत्रो सो चेव निरवसेसो भाणियबो जाव अप्पाबहुगंति 2 / सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति जाव विहरति 3 // सूत्रं 444 // // इति द्वादशमशतके तृतीय उद्देशकः // 12-3 // // अथ द्वादशमशतके पुद्गलाख्य-चतुर्थोद्देशकः // रायगिहे जाव एवं वयासी-दो भंते ! परम्माणुपोग्गला एगयो साहन्नति एगयो साहरिणत्ता किं भवति ?, गोयमा ! दुप्पएसिए खंधे भवइ, से भिजमाणे दुहा कन्जइ एगयत्रो परमाणु गोग्गले एगयो परमाणुपोग्गले भवइ 1 / तिनि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नति 2 किं भवति ?, गोयमा ! तिपएसिए खंधे भवति, से भिन्जमाणे दुहावि तिहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयत्रो परमाणुपोग्गले एगयो दुपएसिए खंधे भवइ, तिहा कन्जमाणे तिरिण परमाणुयोग्गला भवंति 2 / चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहन्नंति जाव पुच्छा, गोयमा !