________________ 1.] [श्रीमदागमसुधासिन्धुः। द्वितीयो विभागः अत्थेगइए नो देवे सिया 1 / से केणटेणं जाव इयो चुए पेचा अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए नों देवे सिया ?, गोयमा ! जे इमे जीवा गामागर. नगर-निगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-सन्निवेसेसु अकामतराहाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणं अकाम-सीतातव-दंसमसगअगहाणग(अकामगहाणग सेय-जल्ल-मल-पंकपरिदाहेणं अप्पतरं वा भुजतरं वा कालं अप्पाणं परिकिलेसंति अप्पाणं परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति 2 / केरिसा णं भंते ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पराणत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-इहं मणुस्सलोगंमि असोगवणे इ वा सत्तवन्नवणे इ वा चंपयवणे इ वा चूयवणे इ वा तिलगवणे इ वा लाउयवणे इ वा निग्गोहवणे इ वा छत्तोववणे इ वा असणवणे इ वा सणवणे इवा अयसिवणे इ वा कुसुभवणे इ वा सिद्धत्थवणे इ वा बंधुजीवगवणे इ वा णिच्चं कुसुमिय-माइय-लवइय-थवइय-गुलझ्य-गोच्छिय-जमलिय-जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्त-पिंडिमंजरिवडेंसगधरे सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणे उमसोभेमाणे चिट्टइ, एवामेव तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहन्नेणं दसवाससहस्सट्टितीएहिं उक्कोसेणं पलियोवमट्टितीएहिं बहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहिं तदेवीहि य ाइराणा वितिकिराणा उवत्थडा संथडो फुडा अवगाढा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा चिट्ठति, एरिसगा णं गोयमा ! तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पराणत्ता, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुचइ-जीवे णं असंजए जाव देवें सिया 3 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं-गोयमें समण भगवं महावीरं वंदति नमंसति वंदइत्ता नमंसइत्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति 4 // सू० 11 // पढमे सए पढमो उद्दे सो समत्तो // // इति प्रथमशतके प्रथमोह शकः // 1-1 //