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________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 5 :: उ० 4 ] [145 ते जाणंति, पार्सति से तेण्डेणं तं चेव 5 // सूत्रं 115 // पभू णं भंते ! अणुत्तरोववाझ्या देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धिं घालावं वा संलावं वा करेत्ता ?, हंता पभू 1 / से केण?णं जाव पभू णं ग्रणुत्तरोक्वाइया देवा जाव करेत्तए ?, गोयमा ! जराणं अणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा ग्रट्ठ वा हेउं वा पसिणं वा वागरणं वा कारणं वा पुच्छंति तए णं इहगए केवली अट्ठ वा जाव वागरणां वा वागरेति से तेण?णं जाव करेत्तए 2 / जन्नं भंते ! इहगए चेव केवली अट्ठ वा जाव वागरेति तराणं अणुत्तरोववाझ्या देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति पासंति ?, हंता ! जाणंति पासंति 3 / से केणढे गां जाव पासंति ?, गोयमा ! तेसिणं देवाणं अणंतायो मणोदव्यवग्गणायो लद्धायो पत्तायो अभिसमन्नागयायो भवंति से तेणढे गां जगणं इहगए केवली जाव पासंति 4 // सूत्रं 116 // अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा किं उदिन्नमोहा उवसंतमोहा खीणमोहा ?, गोयमा ! नो उदिन्नमोहा उवसंतमोहा णो खीणमोहा / सूत्रं 117 // केवली णं भंते ! श्रायाणेहिं जाणति पासति ?, गोयमा ! गो तिण8 समढे 1 / से केण?णं जाव केवली णं पायाणेहिं न जाणइ न पासइ ?, गोयमा ! केवली णं पुरच्छि. मेणं मियपि जाणइ अमियंपि जाणइ जाव निव्वुडे दंसणे केवलिस्स से तेण?णं जाव न पासइ 2 // सूत्रं 198 // केवली णं भंते ! अस्सिं समयंसि जेसु अागासपदेसेमु हत्थं वा पायं वा बाहुं वा उरुं वा योगाहित्ताणं चिट्ठति पभू णं भंते ! केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव यागासपदेसेसु हत्थं वा जाव प्रोगाहित्ता णं चिट्ठित्तए ?, गोयमा ! णो तिण? समढे, 1 / से केण?णं भंते ! जाव केवली णं अस्सि समयंसि जेसु ागासपदेसेसु हत्थं वा जाव चिट्ठति णो णं पभू केवली सेयकालंसिवि तेसु चेव अागासपएसेसु हत्थं वा जाव चिट्ठित्तए ?, गोयमा ! केवलिस्स णं 16
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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