________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्रं : शतकं 11 :: उ० 6 ] [ 373 सिवभई कुमारं जएणं विजएणं वद्धाति जएणं विजएणं वद्धावेत्ता ताहिं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं जहा उववाइए कोणियस्स जाव परमाउं पालियाहि इट्ठजणसंपरिखुडे हथिणपुरस्स नगरस्स अन्नेसि च बहूणं गामागरनगर जाव विहराहित्तिकटु जयजयसह पउंजंति 1 / तए णं से सिवभद्दे कुमारे राया जाए महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे वनो जाव विहरइ 10 / तए णं से सिवे राया अन्नया कयाई सोभणंसि तिहि-करणदिवस-मुहुत्त-नक्खत्तंसि विपुलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेंति उवक्खडावेत्ता मित्तणाइनियग जाव परिजणं रायाणो. य खत्तिया अामंतेति श्रामंतेत्ता तो पच्छा राहाए जाव सरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्तणातिनियगसयण जाव परिजणेणं राएहि य खत्तिएहि य सद्धिं विपुलं असणपाणखाइमप्साइमं एवं जहा तामली जाव सकारेति संमाणेति सकारेत्ता संमाणेत्ता तं मित्तणाति जाव परिजणं रायाणो य खत्तिए य सिवभदं च रायाणं श्रापुच्छइ अापुच्छित्ता सुबहुं लोहोलोहकडाहकडुच्छ जाव भंगं गहाय जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति तं चेव जार तेसिं अंतियं मुडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए 11 / पव्वइएऽविय णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिराहइ-कप्पइ मे जावजीवाए छ8 तं चेव जाव अभिग्गहं अभिगिराहइ 2 पढमं छ?क्खमणं उपसंपजित्ताणं विहरइ 12 / तए णं से सिवे रायरिसी पढम-टुक्खमण-पारणगंसि पायावणभूमीए पचोरुहइ पायावणभूमिए पचोरुहिता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता किढिणसंकाइयगं गिराहइ गिरिहत्ता . पुरच्छिमं दिसं पोक्खेइ पुरच्छिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवे रायरिसी अभिरक्खिउ सिवे रायरिसी, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुष्पाणि य