________________ मोमव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शतकं 10 ] ( 45 श्राराहेइ 2 चरिमेहिं उस्सासनीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे सव्वदुक्खप्पहीणे 1 // सू० 76 // भंतेत्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति 2 एवं वयासी-से नूणं भंते ! सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव अपञ्चक्खाणकिरिया कन्जइ ?, हंता गोयमा ! सेट्ठियस्स य जाव अपञ्चक्खाणकिरिया कन्जइ, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ?, गोयमा ! अविरतिं पडुच्च से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सेट्ठियस्स य तणुयस्स जाव कजइ // सू० 77 // श्राहाकम्मं भुजमाणे समणे निग्गंथे किं बंधइ किं पकरेइ किं चिणाइ कि उवचिणाइ ?, गोयमा ! पाहाकम्मं णं भुजमाणे पाउयवजागो. सत्त कम्मप्पगडीयो सिढिलबंधणबद्धायो धणियबंधणबद्धाश्रो पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ, से केण?णं जाव अणुपरियट्टइ ?, गोयमा ! श्राहाकम णं भुजमाणे आयाए धम्मं अइकमइ अायाए धम्मं अइक्कममाणे पुढविकायं णावकंखइ जाव तसकायं णावकंखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराई अाहारमाहारेइ तेवि जीवे नावकंखइ, से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-श्राहाकम्मं णं भुजमाणे पाउयवजारो सत्त कम्मपगडीयो जाव अणुपरियट्टइ 1 / फासुएसणिज्ज भंते ! भुजमाणे किं बंधइ जाव उवचिणाइ ?, गोयमा ! फासुएसणिज्ज णं भुजमाणे ग्राउयवजायो सत्त कम्मपयडीयो धणियबंधणबद्धायो सिढिलबंधणबद्धायो पकरेइ जहा संवुडे णं, नवरं पाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ, सेसं तहेव जाव वीईवयइ, से केण?णं जाव वीईवयइ ?, गोयमा ! फासुएसणिज्जं भुंजमाणे समणे निग्गंथे आयाए धम्मं नो अइक्कमड, आयाए धम्म अणइकममाणे पुतविकाइयं अवकंखति जाव तसकायं अवकंखइ, जेसिपि य णं जीवणं सरीराइं अाहारेइ तेवि जीवे अवकंखति से तेण?णं जाव वीईवयइ 2 // सू० 78 // से नूणं भंते ! अथिरे पलोट्टइ नो थिरे