________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र : शराक 2 उ०५] (6. उकोसेणं छम्मासा 1 / तिरिक्खजोणियगम्भे गां भंते ! तिरिक्खजोणियगभेत्ति कालो केवचिरं होति ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठ संवच्छराई 2 / मणुस्सीगम्भे गां भंते ! मणुस्सीगभत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस संवच्छराई 3 // सू० 101 // कायभवत्थे णं भंते ! कायभवत्थेत्ति कालो केवचिरं होइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं चउव्वीसं संवच्छराई // सू० 102 // मणुस्स-पंचेंदिय-तिरिक्ख-जोणियबीए णं भंते ! जोणियभूए केवतियं कालं संचिट्ठइ ?, गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता // सू० 103 // एगजीवे णं भंते ! जोणिए बीयभूए (एगभवग्गहणेणं) केवतियाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छइ ?, गोयमा / जहन्नेणं इकस्म वा दोराहं वा तिराहं वा, उक्कोसेणं सयपुहुत्तस्स जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति // सू० 104 // एगजीवस्स णं भंते ! एगभवग्गहणेणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति ? गोयमा ! जहन्नेणं इको वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति, से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जाव हबमागच्छइ ?, गोयमा ! इत्थीए य पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए समुप्पजड, ते दुहयो सिणेहं संचिणंति 2 तत्थ गां जहन्नेणं एको वा दो वा तिरिण वा उकोसेणं सयसहस्सपहुत्तं जीवाणं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छति, से तेण?णं जाव हव्वमागच्छइ // सू० 105 // मेहुणे णं भंते ! सेवमाणस्स केरिसिए असंजमे कन्जइ ?, गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे ख्यनालियं वा बूरनालियं वा तत्तेणं कणएणं समभिधंसेजा एरिसएणं गोयमा ! मेहुणं सेवमाणस्स. असंजमे कन्जइ, सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति // सू० 106 // तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाथो नगरायो गुणसिलायो चेइयायो पडिनिक्खमइ 2 बहिया जणवयविहारं विहरति / lilishna