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________________ 164] . . [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / द्वितीयो विभागः निरुवयंति प्राणुपुञ्चीए परिकम्मेमाणे 2 दम्भेहि य कुसेहि य वेढेइ 2 अहिं मट्टियालेवेहिं लिंपइ 2 उरहे दलयति भूति 2 सुक्क समाणं श्रत्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि पपिखवेजा, से नूणं गोयमा ! से तुबे तेसिं अट्ठराहं मट्टियालेवेणं गुरुपत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता अहे धरणितलपइटाणे भवइ ?, हंता भवइ, अहे णं से तुबे तेसि अट्टराहं मट्टियालेवाणं परिक्खएणं धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ?, हंता भवइ, एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए निरंगणयाए गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्नायति 3 / कहन्नं भंते ! बंधणछेदणयाए अकम्मरस गई पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-कलसिंबलियाइ वा मुग्गसिंदलियाइ वा माससिंबलियाइ वा सिंबलिसिंबलिपाइ वा एरंडमिंजियाइ वा उगणे दिना सुक्का समाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ, एवं खलु गोयमा ! जाव गई पत्नत्ता 4 / कहन्नं भंते ! निरंधणयाए अकम्मस्स गती पन्नत्ता ?, गोयमा ! से जहानामए-धूमस्स इंधणविप्पमुकस्स उ8 वीससाए निबाधाएणं, गती पवत्तति, एवं खलु गोयमा ! जाव पनत्ता 5 / कहन्नं भंते ! पुषणयोगेणं अकम्मस्स गती पन्नता ?, गोयमा ! से जहानामए-कंडस्स कोदंडविप्पमुकस्त लक्खाभिमुही निव्याघाएणं गती पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! नीसंगयाए निरंगणयाए जाव पुवषयोगेणं अकम्मस्स गती पराणत्ता // सूत्रं 365 // दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे अदुक्खी दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी दुक्खेणं फुडे 1 / दुक्खी णं भंते ! नेरतिए दुक्खेणं फुडे अदुखी नेरतिए दुक्खेणं फुडे ?, गोयमा ! दुक्खी नेरइए दुक्खेणं फुडे नो अदुक्खी नेरतिए दुखेणं फुडे 2 / एवं दंडश्रो जाव वेमाणियाणं, एवं पंच दंडगा नेयवा-दुक्खी दुक्खेणं फुडे 1 दुक्खी दुक्खं परियादियइ 2 दुक्खी दुक्खं उदीरेइ 3 दुवखी दुक्खं वेदेति 4 दुक्खी दुवखं निजरेति
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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