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________________ श्रीमदामासिस्टम-द्वितीयो विभाग जोयणकोडाकोडीनो आयामकिासभेणं, असंखेबायो जोयणकोयकोड़ीयो परिक्खेषेणं पराणत्ते, अस्थि पुण सते. 2, कालोःणं लोए ण कयाकि न श्रासी न कयावि न भवति नाकयावि न भविस्सति भविंसु य भवति य भविस्सइ य धुवे णितिए सासते अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे, णत्थि पुण से अंते 3, भावोणं लोए अणंता वराणपजवा अणंता मंधपजवा अणंता रसपजवी अणंता. फासपजवाज्यणता संठाणपजवा अणंता गस्यलहुयपजवा अणंता अगरुयलहुयपजवा, नत्थि पुग्ण से अंते 4, सेत्तं खंदगा ! दव्वयो लोएसयंते खेत्तो लोए सते कालयो लोए अणते भावो लोए अणंते 14 / जेवि य ते खंदया ! जाव सयंते जीवे अणंते जीवे ? तस्सवि य णं अयम?-एवं खलु जाय दबश्रो णं .एगे जीवे सयंते, खेत्तश्रो णं जीवे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे अस्थि पुण से अंते, कालो णं जीवे न कयावि न पासि जाव निच्चो नत्थि पुण से अंते, भावो 'ण जीवे अणंता णाणपजवा- अणंता दंसणपजवा अणंता चरित्तपजवा अणंता गुरुयलहुयपन्नवा अणंता अगुरुलहुयपजवा नत्थि पुण से अंते, से तं दव्वश्रो जीवे सयंते खेत्तत्रो जीवे सश्रते कालो जीवे अणते भावो जीवे अणंते 25 / जेवि य ते खंदया ! पुञ्छा [ इमेयारूवे चितिए जाव सयंता सिद्धी अणंता सिद्धी, ] तस्सवि य णं श्रयम? खंदया !-मए एवं खलु चाविहा सिद्धी पराणत्ता, तंजहा-दबो 4, दवो णं एगा सिद्धी संयंता, खेत्तयोणं सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं पायामविक्खंभेग, एगा जोयणकोडी बायालीसं च जोयणसयसहस्साइं तीसं च जोयणसहस्साईदोनिय अउणापन्नजोयणसए किंषिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पराणत्ता, अस्थि पुण से अंते, कालो णं सिद्धी न कयावि न पासि न कयावि न भवति न कयावि न भविस्सति भुविसु य भवति य भविस्सइ य, धूवा नितिया, सासया अक्खया अब्बया अवट्टिया णिचा, णत्थि पुण से अंते,
SR No.004363
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1976
Total Pages468
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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