________________ [ श्रीमदायमसुधासिन्धुः / द्वितीयों विभागः जीवाणं सुहं दुक्खं जीवे जीवति तहेव भविया य। एर्गतदुक्खवेयण अत्तमाया य केवली // 1 // सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्र 256 / / छ8 सयं समत्तं // // इति षष्ठशतके दशम उद्देशकः // 6-10 // // इति षष्ठं शतकम् // 6 // // अथ सप्तमशतके आहाराख्य-प्रथमोद्देशकः // थाहार 1 विरति 2 थावर 3 जीवा 4 पक्खी य-५ ग्राउ 6 अमंगारे 7 / छउमत्थ 8 असंवुड 6 नउत्थि 10 दस सत्तमंमि सए // 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव एवं वदामी-जीवे णं भंते ! कै समयमणाहारए भवइ ?, गोयमा ! पढमे समए सिय थाहारए सिय अणाहारए बितिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए ततिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए चउत्थे समए नियमा थाहारए, एवं दंडयो, जीवा य एगिदिया य चउत्थे समए सेसा ततिए समए 1 / जीवे णं भंते ! के समयं सबप्पाहारए भवति ?, गोयमा ! पढमसमयोववन्नए वा चरम. समए भवत्थे वा एत्थ णं जीवे णं सवप्पाहारए भवइ, दंडयो भाणियब्यो जाव वेमाणियाणं 2 // सूत्रं 260 // कि संठिए णं भंते ! लोए पन्नत्ते ?, गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पन्नत्ते, हेट्ठा विच्छिन्ने जाव उप्पिं उडमुईगागारसंठिए, तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिन्नंसि जाव उप्पि उड्डमुइंगागारसंठियंसि उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली जीवेवि जाणइ पासइ अजीवि जाणइ पासइ तो पच्छा सिझति जाव यंत करेइ // सूत्रं 261 // समणोवासगस्त णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवासए अच्छमाणस्स तस्स aaN भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कजइ संपराइया किरिया कजइ ? मोयमा ! नो ईरियावहिया - किरिया कज्जइ,