________________ बामव्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवती) सूत्र में शतकं 7 : उ०७] . बहुले भविस्सति, तए णं ते मणुया सुरुगमण-मुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुर्तसि. य बिलेहितो निद्धाहिति बिलेहिंतो निद्धाइत्ता मच्छकच्छभे थलाई गाहेहिंति मच्छकन्छभे थलाइंगाहेत्ता सीयायव-तत्तएहि मच्छकच्छएहिं एकवीसं वाससहस्साइं वित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति 2 / ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पचक्खाण-पोसहोववासा श्रोसरणं मंसाहारा मन्छाहारा खोदाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति ? कहिं उववजिहिंति ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति 3 / ते णं भंते ! सीहा वग्धा वगा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा निस्सीला तहेव जाव कहिं उववजिहिंति ?, गोयमा ! श्रोसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववजिहिंति / ते णं भंते ! ढंका कंका विलका मद्द गा सिही निस्सीला तहेव जाव श्रोसन्नं नरगतिरि. खजोणिएसु उबवजिहिंति 5 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति // सूत्रं 288 // सत्तमस्स छट्ठो उद्देसयो॥ // इति सतमशतके षष्ठ उद्देशकः // 7-6 // . // अथ सप्तमशतके अणगाराभिध-सप्तमोद्देशकः // संवुडस्स णं भंते ! श्रणगारस्स पाउत्तं गच्छमाणस्स जाव पाउत्तं तुयट्टमाणस्स. पाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गेराहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स णं भंते ! किं ईरियावहिया किरिया कन्जइ ? संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा ! संवुडस्स णं श्रणगारस्स जाव तस्स णं ईरियावहिया किरिया कजइ णो संपराइया किरिया कजइत्ति है। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव नो संपराइया किरिया कजइ ?, गोयमा ! जस्स णं कोहमाणमायालोमा वोच्छिन्ना भवंति तस्स णं ईरियावहिया किरिया कन्जइ, तहेव जाव उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराड़या