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सिद्धान्तसार दीपक __इन दोनों (रक्ता-रक्तोदा) नदियों के सरोवर के निर्गमद्वार का व्यास प्रादि, प्रणालियों का विस्तार आदि, नदी पतन कुण्ड से पर्वत तट का अन्तर, धारा की चौड़ाई एवं ऊंचाई, कुण्ड द्वीप, पर्वत और गृह आदि का तथा समुद्र प्रवेश द्वार प्रादि के विष्कम्भ आदि का समस्त प्रमाण पूर्वोक्त गङ्गा सिन्धु के सदृश ही जानना चाहिये ।
उपर्युक्त चौदह महानदियों के निर्गमद्वार के ध्यासादि से लेकर उनके समुद्र प्रवेशद्वार के व्यास आदि पर्यन्त समस्त प्रमाण निम्नाङ्कित तालिका द्वारा दर्शाया जा रहा है ।
नबियों के निर्गम-प्रवेश प्राधि से सम्बन्धित । निर्गम
पर्वर्ती के ऊपर नदी निर्गम स्थान पर | पर्वतस्थ
| स्थित गंगा प्रादि द्वारों की नदियों को प्रणालिकामों
देवियों के गृहों की
। योजनों में पोजनों में | योजनों में
व्यास
पर्वतों के मूल में स्थित कुण्डों की
कुण्डों के मध्य
हा
नदियों के नाम
योजन
क्रमांक
चौडाई
चौड़ाई
मोटाई लम्बाई
चौड़ाई
गहराई
चौड़ाई
SHEE
मध्य
ऊपर
गङ्गा-सिन्धु
(७५०
२] रोहित्-रोहिनास्मा
| ११२३ १८३ | १.१२३ | १११२६ २०१२५ | १ १६ । २ ३ २:
३) हरित-हरिकान्ता
|२२५ ३७३ | २. २५ | २ २ २५ ४०२३०२: ३२६४ २१६
४ सौता-सीतोदा
५ नारी-नरकाता
२ २५ ३७३ | २. २५ / २ २ २५. ४०२५० २, ३२ | ४६ ४२
सुवर्ण रूप्यकूला
| ११२३ १८१ | ११२३ | १ ११२३ |२० १२५ | १| १६ | २| ३, २) १
।
७ रक्ता-रक्तोदा