________________
६० ]
सिद्धान्तसार दीपक
शिरः प्रकम्पितं नूनं लक्षश्चतुरशीतिकः । वगितं जायते चैव हस्तप्रहेलिकाभिधम् ॥६५॥ लोश्चतुरमीत्या च हस्तप्रहेलिकाभिधम् । गुणितं श्रीजिनः प्रोक्तामचलात्मकसंज्ञकम् ।।६६॥ पिण्डीकृता इमे सर्वेरा एकत्रिशदजसा । पदानां संख्यया प्रोक्ता अन्योन्यगुणनोदभवा ।।६७॥ षयता निखिलाः सन्ति शून्यानि नवतिः स्फुटम् ।
सर्वेकत्रीकृताः अडाः सार्धशतं च संख्यया ॥१८॥ अर्थ:--अब पूर्वांग एवं पूर्व आदि का प्रमाण कहते हैं । चौरासी लाख वर्षों का एक पूर्वाग होता है ॥५०॥ पूर्वांग को ८४ लाख से गुणित करने पर एक पूर्व (७०५६०००००००००० वर्ष) होता है। पूर्व में १४ का गुणा करने से एक पर्वाङ्ग होता है ऐसा विद्वानों ने कहा है ॥८॥ पर्वाङ्ग को ८४ लाख से गुणित करने पर एक पर्व और पर्व को ८४ से गुणित करने पर एक नयुताङ्ग होता है ॥२॥ नयुतान को ८४ लाख से गुरिणत करने पर एक नयुत और नयुत को ८४ से गुणित करने पर एक कुमुदाङ्ग कहा गया है ।।१३।। कुमुदाङ्ग को ४ लाख से गुणित करने पर एक कुमुद और कुमुद को ८४ से गुणित करने पर एक पाङ्ग होता है ।।४॥ पद्माङ्ग को ८४ लाख से गुरिणत करने पर एक पद्म और पद्म को ८४ से गुणित करने पर एक नलिनाङ्ग होता है, ऐसा जिनागम में कहा है ॥८॥ नलिनाङ्ग को ८४ लाख से गुरिणत करने पर एक नलिन और नलिन को ८४ से गुणित करने पर एक कमलांग होता है, ऐसा विद्वानों के द्वारा कहा गया है ।।१६।। कमलांग को ८४ लाख से गणित करने पर एक कमल और कमन को ८४ से गुणित करने पर एक त्रुटितांग होता है ॥७॥ श्रुटितांग को ८४ लाख से गुणित करने पर एक त्रुटित और त्रुटित को ८४ से गुणित करने पर अटटांग होता है ॥१८अटांग को ८४ लाख से गुणित करने पर एक अटट और अटट को ८४ से गणित करने पर एक अममांग होता है 11८६॥ अममांग को ६४ लाख से गुणित करने पर एक अमम पौर अमम को ८४ से गणित करने पर एक हाहांग होता है ।।६०॥ विद्वानों ने कहा है कि हाहांग को ८४ लास्त्र से गुणित करने पर एक हाहा और हाहा को ८४ से गुणित करने पर एक हूहांग होता है ॥१॥ इहांग को ८४ लाख से गणित करने पर एक हह और हहू को ८४ से गुणित करने पर एक विन्दुलतांग होता है ।।६२सा विन्दुलतांग को ८४ लाख से गुणित करने पर एक बिन्दुलता और विन्दुलता को ८४ से गुणित करने पर एक महालतोग होता है ।।१३।। महालतांग को ८४ लाख से गणित करने पर एक महालता और महालता को ८४ लाख से गुणित करने पर एक शिरः प्रकम्पित होता