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चतुर्दशीऽधिकारः
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||४० - ४१॥ इसी प्रकार सिंह, हाथी, वृषभ और अश्व रूप को धारण करने वाले १६००० वाहन जाति के देव सूर्य विमान में भी होते हैं || ४२ ॥ इसी प्रकार अवशेष शुक्र, गुरु, बुध, शनि और मंगल के विमानों में प्रत्येक विमानों की चारों दिशाओं में दो-दो हजार वाहन जाति के देव जुतते हैं ||४३|| इन सबका योग करने पर प्रत्येक ग्रह के पृथक् पृथक् वाहन जाति के देव साठ-पाठ हजार हैं ।। ४४ ।। वाहन जाति १००० सिंह रूप धारी देव, १००० गज रूप धारी, १००० बृषभ रूप धारी और १००० अश्व रूप धारी देव प्रत्येक नक्षत्र विमानों की चारों दिशाओं में पृथक् पृथक् होते हैं, और इनका योग करने पर एक एक नक्षत्र विमान के सर्व देव चार चार हजार होते हैं ।। ४५-४६ ।। तारागणों के प्रत्येक विमानों की चारों दिशाओं में क्रमशः ५०० सिंह, ५०० हाथी, ५०० बैल और ५०० घोड़े होते हैं, इन प्रत्येक विमानों के देवों का एकत्रित प्रमाण दो-दो हजार होता है। सिंहादिक की विक्रिया युक्त, विमान वाक इन वाहन जाति के देवों को अल्प पुण्याधिकारी जानना चाहिए ॥४७-४८ ॥
अब मनुष्य लोक में स्थित चन्द्र-सूर्यो की संख्या का निरूपण करते हैं :— जम्बूद्वीपे पृथक् स्थातां द्वौ चन्द्रो द्वौ दिवाकरौ ।
लवणोदे च चतुश्चन्द्राश्चत्वारो भानवो मताः ॥ ४६ ॥ पातकीखण्डे चन्द्राद्वादशसंख्यकाः ।
तावन्तो भानवः कालोदधौ चन्द्रमसः स्मृताः ॥ ५० ॥ द्विचत्वारिशदावित्यास्तावन्तः पुष्करार्धके । द्विसप्ततिप्रमाइचन्द्रास्तावन्तः स्युदिवाकराः ॥ ५१ ॥ इमे पिण्डीकृताः सर्वे द्वात्रिंशदधिकं शतम् । चन्द्राः सूर्याश्व तावन्तो नृक्षेत्रे सकले मताः ||५२ ॥
अर्थ :- जम्बुद्वीप में पृथक् पृथक् दो चन्द्र और दो सूर्य है । लवणोदधि में चार चन्द्र एवं चार सूर्य हैं ॥४६॥ धातकी खण्ड में १२ चन्द्र तथा १२ ही सूर्य हैं । कालोदधि में ४२ चन्द्र धौर ४२ ही सूर्य
हैं
हैं, इसी प्रकार पुष्करार्धवर द्वीप में ७२ चन्द्र एवं ७२ सूर्य पर सम्पूर्ण मनुष्य क्षेत्र में ( २+४+ १२ + ४२ + ७२ = ।।५२) ।। जैसे:
।।५०-५१ ।। इन सबका एकत्रित योग करने १३२ सूर्य और १३२ हो चन्द्रमा हैं ।
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